इलाहाबाद : इलाहाबाद हाइकोर्ट की न्यायाधीश भारती सप्रू ने देश में बच्चों के साथ यौन शोषण की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों के प्रति जागरूक होने की पहली जिम्मेदारी अभिभावकों की है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर वुमेन स्टडीज द्वारा नयी दिल्ली के राही फाउंडेशन के साथ मिल कर यहां बाल यौन शोषण पर आयोजित एक कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद न्यायमूर्ति सप्रू ने कहा, बच्चों के प्रति जागरूक होने की पहली जिम्मेदारी मां-बाप की है. कानून और समाज की बात बाद में आती है.
न्यायमूर्ति सप्रू ने कहा, गुड़गांव में घटी घटना को लेकर पूरा देश दुखी है. हालांकि, इस घटना में उस बच्चे के मां-बाप की कोई गलती नहीं है. बाल यौन शोषण सदियों से होता आ रहा है, लेकिन इसे छिपा कर रखा जाता रहा है. घरों में जब सगे संबंधी यह करते हैं, तब बच्चों को चुप करा देते हैं. बच्चा अंदर से घुटता है. बाल यौन शोषण की रोकथाम को लेकर 2012 में बने कानून की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह कानून तो बहुत अच्छा बना है. यह एक संपूर्ण संहिता है. इसमें रोकथाम से लेकर पुनर्वास तक सभी चीजों का प्रावधान है. लेकिन, लोगों को इस कानून का इस्तेमाल करना नहीं आता है. इसके लिए उन्हें जागरूक करना होगा.
यूपी की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ने कहा, यौन शोषण चिंतनीय
एक अन्य कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि देशभर में बच्चों और युवतियों के साथ यौन शोषण की जो घटनाएं हो रही हैं, वह बहुत चिंता का विषय है और सरकार के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती है. इससे निबटने के लिए पूरे समाज को जागरूक करना पडेगा, उसे संवेदनशील बनाना पड़ेगा.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर वुमेन स्टडीज की निदेशक प्रोफेसर स्मिता अग्रवाल ने कहा कि इस समय पुनर्वास से कहीं महत्वपूर्ण इसकी रोकथाम करना है. ऐसी घटनाएं घटित ही न हों, इसके लिए समाज, शैक्षणिक संस्थाओं सभी को सावधान रहने की जरूरत है. इस कार्यशाला में इन्हीं चीजों पर चर्चा की जा रही है कि कैसे पीड़ित की पहचान की जा सके और उसे सदमे से उबारा जा सके.