इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिक गुजारा भत्ता एवं कल्याण कानून, 2007 के प्रावधानों को तीन माह के भीतर लागू करने का आज निर्देश दिया. यह कानून राज्य सरकार को वरिष्ठ नागरिकों को गुजारा खर्च, चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की रक्षा करने की सहूलियत प्रदान करता है. अदालत ने राज्य सरकार को ऐसे अधिकरणों एवं अपीलीय अधिकरणों का गठन करने का भी निर्देश दिया जहां पीड़ित वरिष्ठ नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को इस कानून के प्रावधानों के मुताबिक प्रदेश के प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम स्थापित करने को भी कहा.
न्यायमूर्ति तरण अग्रवाल और न्यायमूर्ति अशोक कुमार की पीठ ने यह आदेश जानकी देवी एवं अन्य द्वारा दायर याचिका पर पारित किया. 75 वर्षीय जानकी देवी की देखभाल उनके एक रिश्तेदार द्वारा की जाती थी। अपनी वृद्धावस्था के चलते वह अपना बैंक खाता नहीं चला सकती थीं। इसलिए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बैंक को यह निर्देश देने की मांग की गयी कि बैंक जानकी देवी के बैंक खाते से रकम निकालने की उनके रिश्तेदार को अनुमति दे जिससे कि वह रिश्तेदार जानकी देवी के गुजारे के लिए उस रकम का उपयोग कर सके. सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार ने जानकारी दी कि इस वृद्ध महिला की जरुरतें देखने के लिए जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी.
इस पर अदालत ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस समिति के सदस्य समय समय पर इस वृद्ध महिला के घर जायेंगे जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि महिला को बुनियादी एवं चिकित्सा सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं. अदालत ने इस याचिका का निपटान करते हुए राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों एवं हितों की रक्षा करने वाले इस कानून के संबंध में लोगों और राज्य सरकार के कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से व्यापक प्रचार प्रसार के उचित उपाय करने का निर्देश दिया.
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