इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा अप्रैल, 2012 से मार्च, 2017 के बीच कियेगये चयन की सीबीआई जांच का निर्देश देने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर नौ जनवरी को सुनवाई करने का आज निर्णय किया. मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के चेयरमैन और सदस्यों द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया.
याचिका में कहा गया कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक निकाय है, इसलिए सीबीआई जांच का निर्देश देने वाली अधिसूचना अवैध और अधिकार क्षेत्र से बाहर की है. याचिका के मुताबिक, मौजूदा कानूनों के तहत आयोग के खिलाफ जांच का निर्देश नहीं दिया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की सिफारिश पर केंद्र ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा अप्रैल, 2012 और मार्च, 2017 के बीच कियेगये चयन की सीबीआई जांच कराने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान, आपत्ति उठायीगयी कि चेयरमैन और आयोग के सदस्यों द्वारा दायर की गयी याचिका में दम नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए. हालांकि, अदालत ने नौ जनवरी की तिथि तय करते हुए राज्य सरकार के वकील से इस अदालत को यह अवगत कराने को कहा कि किस आधार पर राज्य सरकार ने केंद्र से सीबीआई जांच की सिफारिश की है.
आयोग द्वारा दलील दी गयी कि चूंकि सीबीआई जांच का आदेश इस आयोग द्वारा कियेगये चयन के खिलाफ पारित किया गया है, ऐसे में आयोग उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है. हालांकि, राज्य सरकार के वकील ने कहा कि याचिका इस आयोग के चेयरमैन द्वारा दायर नहीं की जा सकती.