कासगंज सांप्रदायिक हिंसा मामले की NIA जांच की जरूरत नहीं : HC

लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के कासगंज शहर में हाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से तफ्तीश कराने का आदेश देने के आग्रह को आज नामंजूर कर दिया. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन ने दिलीप कुमार श्रीवास्तव तथा अन्य की याचिका का निबटारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2018 10:32 PM

लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के कासगंज शहर में हाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से तफ्तीश कराने का आदेश देने के आग्रह को आज नामंजूर कर दिया. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन ने दिलीप कुमार श्रीवास्तव तथा अन्य की याचिका का निबटारा करते हुए यह आदेश दिये.

अदालत ने राज्य सरकार को कासगंज हिंसा में मारे गये युवक चंदन को शहीद का दर्जा देने और उसके परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश जारी करने से भी इनकार कर दिया. याची पक्ष की तरफ से अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने अदालत में आरोप लगाया कि अलग-अलग समुदायों के मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने में भेदभाव किया जा रहा है.

राज्य सरकार के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सरकार ने मृतक के परिजनों को मुआवजा पहले ही दे दिया है और चूंकि मामले की जांच की जा रही है लिहाजा इसकी एनआईए से जांच कराने की कोई जरूरत नहीं है. मालूम हो कि गणतंत्र दिवस पर कासगंज शहर में एक मोटरसाइकिल रैली के दौरान दो समुदायों के बीच हुए टकराव में गोली लगने से चंदन गुप्ता नामक युवक की मौत हो गयी थी.

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