इलाहाबाद : साल 2007 के उत्तरप्रदेश के गोरखपुरजिलेमेंहुए सांप्रदायिक दंगा मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इलाहाबाद हाईकोर्ट से आज बड़ी राहत मिली है. इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग वाली याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष की बात सुनने के बाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पर किसी तरह का मुकदमा नहीं चलेगा. साथ ही इस मामले में पुन: जांच की अपील को भी खारिज कर दिया है.
Allahabad High Court rejects petition seeking re investigation into Chief Minister Yogi Adityanath's alleged role in the 2007 riots in Gorakhpur pic.twitter.com/wS4vhLfpBc
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 22, 2018
याचिका में योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने से इन्कार करने के सरकारी आदेश की वैधानिकता को चुनौती दीगयी थी. कोर्ट ने इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद याचिका पर 18 दिसंबर, 2017 को अपना फैसला सुरक्षित किया था. गौरतलब है कि गोरखपुर में साल 2007 में हुए दंगे योगी आदित्यनाथ के इशारों पर कराए जाने का आरोप लगाया गया था. इसी मामले में उनके खिलाफ केस चलाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी दिए जाने और मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की गयी थी.
इन आरोपों में गिरफ्तार किये गये थे योगी
मालूमहो कि 2007 में गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ को शांतिभंग और हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. आरोप था कि उन्होंने समर्थकों के साथ मिलकर दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प में एक युवक की मौत के बाद जुलूस निकाला था. योगी की गिरफ्तारी के बाद उनके हिंदू संगठन हिंदू युवा वाहिनी ने जनसंपत्ति को नुकसान पहुंचाया था और एक रेल बोगी और बसें फूंक दी थीं. आजमगढ़ और कुशीनगर में भी पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था.
दर्ज करायी गयी थी एफआइआर
2 नवंबर, 2008 को, गोरखपुर के कैन्टोनमेंट थाने में एफआइआर दर्ज करायीगयी थी. प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया था कि आदित्यनाथ, गोरखपुर के महापौर अंजू चौधरी, तत्कालीन एमएलए राधा मोहन अग्रवाल और अन्य लोगों ने 2007 में गोरखपुर में उग्र भाषणों से हिंसा को उकसाया था. हाई कोर्ट के आदेश पर 2008 में गोरखपुर के कैन्ट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया. बाद में मुकदमे की जांच सीबीसीआइडी को सौंप दी गयी. याचियों ने दोबारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराने की मांग की. साथ ही सरकार के उस आदेश को भी चुनौती दी गयी जिसमें मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी गयी थी.
सरकार ने मुकदमा चलाने से कर दिया था इन्कार
सरकार ने 3 मई, 2017 को आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने से इन्कार कर दिया, जो तत्कालीन यूपी मुख्यमंत्री थे. उन्होंने दावा किया कि याचिकाकर्ताओं को अदालत से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि विरोध याचिका जैसे अन्य विकल्प उपलब्ध हैं. मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने की अनुमति से यह कहते हुए इनकार कर दिया गया था कि आदित्यनाथ के कथित भड़काऊ भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग से छेड़छाड़ की गयी है. इसके बाद ही यह याचिका दाखिल की गयी थी जिसमें सीएम की भूमिका की जांच की फिर से मांग उठायीगयी थी.जिसे आज हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज कर दी गयी है.