कुंभ में डिजिटल हुआ ‘राम नाम’ बैंक, बिना पैसे वाले बैंक में श्रद्धालु भगवान राम का नाम लिखकर करते हैं जमा
प्रयागराज : डिजिटल इंडिया के इस जमाने में अब ‘राम नाम’ बैंक भी डिजिटल हो गया है. बिना पैसे, एटीएम, चेकबुक और रोकड़िया खिड़की वाले इस बैंक में लोग पुस्तिकाओं पर भगवान राम का नाम लिखकर जमा कराते हैं. बैंक के कर्ताधर्ता आशुतोष वार्ष्णेय बताते हैं कि वह अपने दादा जी की विरासत को आगे […]
प्रयागराज : डिजिटल इंडिया के इस जमाने में अब ‘राम नाम’ बैंक भी डिजिटल हो गया है. बिना पैसे, एटीएम, चेकबुक और रोकड़िया खिड़की वाले इस बैंक में लोग पुस्तिकाओं पर भगवान राम का नाम लिखकर जमा कराते हैं.
बैंक के कर्ताधर्ता आशुतोष वार्ष्णेय बताते हैं कि वह अपने दादा जी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. उनके दादा ईश्वर चंद्र ने 20वीं सदी में इस बैंक की शुरुआत की थी. वार्ष्णेय ने बताया कि उद्योगपति चंद्र द्वारा शुरू किये गये इस बैंक में अब भिन्न आयु वर्ग और धर्मों के एक लाख से ज्यादा खाता धारक हैं.
‘राम नाम’ बैंक का दफ्तर कुंभ मेला के सेक्टर-6 में है. बैंक ‘राम नाम सेवा संस्थान’ नामक सामाजिक संगठन के तहत चलता है. यह बैंक अभी तक कम से कम नौ कुंभ देख चुका है. इस बैंक में पैसों का कोई लेन-देन नहीं होता है.
इसके खाता धारकों को 30 पन्नों की एक पुस्तिका मिलती है, जिसमें 108 कॉलम होते हैं. इनमें रोज 108 बार ‘राम’ नाम लिखना होता है. पुस्तिका भरने पर खाता धारक उसे अपने खाते में जमा कर देते हैं. वार्ष्णेय का कहना है कि भगवान राम का पवित्र नाम खाता धारक के खाते में जोड़ दिया जाता है. अन्य बैंकों की तरह पासबुक भी जारी होती है.
डिजिटल बैंक की जानकारी देते हुए गुंजन कहती हैं कि गूगल प्ले स्टोर से नि:शुल्क आप राम नाम ऐप डाउनलोड कर सकते हैं. व्यक्ति को संस्था में पंजीकरण कराना होता है. व्यक्ति को अपना नाम, उम्र, पता और ‘राम नाम’ लिखने का कारण बताना होता है. इसके बाद व्यक्ति को यूजर नेम और पासवर्ड दे दिया जाता है. फिर वह पुस्तिका के पहले 30 पन्ने देख सकता है. व्यक्ति जब अपनी पुस्तिका भर लेता है, उसके बाद ही उसे पासबुक जारी की जाती है.
गूगल प्ले स्टोर से नि:शुल्क राम नाम एप कर सकते हैं डाउनलोड
आकर्षण का केंद्र बना दुनिया का सबसे बड़ा नारियल बीज
कुंभ मेले में डुबकी लगाने पहुंचे असंख्य श्रद्धालुओं को इस धर्मनगरी में कई तरह के आकर्षण भी लुभा रहे हैं. मेला क्षेत्र के सेक्टर-1 में पर्यावरण मंत्रालय का पंडाल है, जहां लोग दुनिया का सबसे बड़ा बीज देखने आ रहे हैं.
इस पंडाल में दरियाई नारियल का बीज दुनिया का सबसे बड़ा बीज है, जिसका वजन 30 किलो है. दरियाई नारियल का पेड़ कोलकाता के भारतीय वनस्पति उद्यान में 1894 में लगाया गया था, जिसमें 112 साल बाद फूल आया था. दरियाई नारियल का पेड़ पूर्वी अफ्रीका के केवल दो द्वीप में ही पाया जाता है. इस पेड़ का जीवनकाल 1,000 वर्ष का है.