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भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में बोले अमित शाह, यूपी में माफिया राज

इलाहाबाद : उत्तरप्रदेश में अगले साल होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारणी की दो दिवसीय बैठक आज शुरु हुई. बैठक में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तरप्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यहां माफिया राज है. उन्होंने कांग्रेस पर भी प्रहार करते हुए कहा, जनता कांग्रेस […]

इलाहाबाद : उत्तरप्रदेश में अगले साल होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारणी की दो दिवसीय बैठक आज शुरु हुई. बैठक में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तरप्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यहां माफिया राज है. उन्होंने कांग्रेस पर भी प्रहार करते हुए कहा, जनता कांग्रेस को नकार रही है. शाह ने यहां नरेंद्र मोदी सरकार के दो साल के कामकाज की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विदेश दौरे से भारत का सम्मान बढ़ा है. अमित शाह ने कहा, गांव और शहर दोनों का विकास हुआ है. सरकार ने दोनों तरफ विशेष ध्यान दिया गया है.

बैठक की जानकारी देते हुए रविशंकर ने कहा, सरकार के दो सालों की भी चर्चा कार्यकारिणी में हुई. इस बैठक में जिक्र हुआ कि कैसे केंद्र सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने में सफल रही है. यूपीए की सरकार मेंहर एक मंत्री खुद को प्रधानमंत्री समझता था और प्रधानमंत्री को कोई प्रधानमंत्री नहीं समझता था. मोदी की सरकार में यह सब बदला है. रविशंकर ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के वक्तव्य को भी सामने रखा. सरकार फैसला करेगी और ब्यूरोकेसी उसे आगे ले जायेगी.

राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक की अध्यक्षता अमित शाह कर रहे हैं. बैठक में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद हैं. बैठक में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की रणनीतियां तय होने के आसार हैं. सूत्रों की माने तो उत्तर प्रदेश चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी जैसी विरोधी पार्टियों के खिलाफ भी रणनीति बनाएगी. वहीं टीवी रिपोर्ट्स के अनुसार राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में भाजपा फिलहाल सीएम उम्मीदवार का चेहरा तय नहीं करेगी, यह सितंबर में ही होगा. राष्ट्रीय कार्यकरिणी की बैठक के बाद सर्वे भाजपा कराएगी और सर्वे के बाद ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान किया जाएगा.

बैठक के पहलेपूरा शहर भाजपा के पोस्टर से पट गया है. सबसे अधिक यहां भाजपा नेता वरुण गांधी के पोस्टर नजर आ रहे हैं. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह एवं अन्य नेता हिस्सा लेंगे. बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और सांसद हिस्सा लेंगे जो राज्य में विधानसभा चुनाव का एजेंडा तय कर सकती है.सूत्रों के अनुसार रविवार को बैठक में कोई प्रस्ताव पास नहीं होगा. सभी प्रस्ताव सोमवार को पेश किए जाएंगे.

चुनावी रणनीति पर बातचीत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दोपहर तीन बजे पदाधिकारियों की बैठक में पहुंचेंगे. सूत्रों की माने तो भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह सोमवार शाम को उत्तर प्रदेश के पार्टी सांसदों से चुनावी रणनीति पर बातचीत करेंगे. कार्यकारिणी के दौरान अलग से यूपी पर कोई सत्र यहां नहीं होगा. बैठक में अमित शाह और नरेंद्र मोदी के भाषण में उत्तर प्रदेश पर विशेष जोर होगा. रविवार को अध्यक्षीय भाषण के बाद राज्यों की रिपोर्ट के दौरान चर्चा होने की उम्मीद है.

टॉप पर उत्तर प्रदेश चुनाव
संगम नगरी में सभा की सारी तैयारी हो चुकी है. शहर भाजपा के पोस्टर से पट चुका है जिसमें पार्टी के दिग्गज नजर आ रहे हैं. तमाम मुद्दों समेत इसमें आने वाले विधानसभा चुनावों पर चर्चा होने की उम्मीद है. भाजपा पंजाब, गोवा और उत्तराखंड चुनावों पर भी माथापच्ची इस बैठक में करेगी., लेकिन सूत्रों की माने तो एजेंडे में टॉप पर उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए रणनीति तैयार करना है. प्रधानमंत्री दो दिनों तक दिल्ली छ़ोड़कर इलाहाबाद में डेरा जमायेंगे, लिहाजा उनका दफ्तर यानी पीएमओ भी वहीं से चलेगा.

सुरक्षा के व्यापक इंतजाम

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की आज से शुरू हो रही दो दिवसीय बैठक के मद्देनजर इलाहाबाद में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गए हैं. पीएम मोदी की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) गुरुवार को यहां पहुंच गया और उसके बाद से कायस्थ पाठशाला खेल मैदान में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने में जुटा है. इस स्थान पर विशाल एवं वातानुकूलित शामियाने के तले यह बैठक होगी. यहीं पवित्र संगम के पास परेड ग्राउंड के पास सोमवार को एक रैली का भी आयोजन किया जायेगा. एसपीजी यहां सर्किट हाउस की सुरक्षा व्यवस्था की भी समीक्षा कर रही है जहां पर प्रधानमंत्री के 12-13 जून की दरमियानी रात को रुकने की संभावना है. सुरक्षा व्यवस्था में उत्तरप्रदेश पुलिस ने 20 जिलों से जवानों को लगाया है. इलाहाबाद जोन के पुलिस महानिरीक्षक आरके चतुर्वेदी के अनुसार, 18 एसपी रैंक के अधिकारियों, 30 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और 50 सर्किल आफिसर (डीएसपी रैंक) के अधिकारी 2500 कांस्टेबल और प्रांतीय सशस्त्र बल के 1800 जवानों को शहर में सुरक्षा व्यवस्था एवं यातायात का प्रबंधन करने के काम में लगाया गया है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही बम निष्क्रिय करने वाले दल और श्वान दस्ते को भी सेवा में लगाया गया है.

मिशन 265 प्लस

गौरतलब है कि भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह ने हाल ही में शहर के बाहरी इलाके में एक रैली में कहा था कि अगर कोई एक राज्य संसद में भाजपा को बहुमत दिलाने में मददगार रही है तब वह उत्तरप्रदेश है. वहीं भाजपा उपाध्यक्ष और राज्य के प्रभारी ओम माथुर ने कहा था कि राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा होगी लेकिन मुख्य जोर निश्चित तौर पर अगले साल होने वाला उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव होगा. बहरहाल, भाजपा कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है क्योंकि पार्टी की स्थापना के बाद से पहली बार भाजपा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए इस शहर को चुना है. इलाहाबाद की लगभग सभी गलियां बैनर, पोस्टरों से पटे हैं जिन पर शहर में मोदी एवं अन्य नेताओं का स्वागत किया गया है. यहां काफी संख्या में बैनर पोस्टरों पर ‘मिशन 265 प्लस’ प्रदर्शित किया गया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ‘मिशन 265 प्लस’ को आगे बढाया है और 403 सदस्यों वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरते रहते हैं. कुछ पोस्टरों में पार्टी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार सुल्तानपुर से सांसद वरुण गांधी को घोषित करने की मांग की गयी है.

क्या है भाजपा की चुनौती

राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. ऐसे में पार्टी उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार बनाकर अगड़ी जाति के वोटबैंक में सेंध लगा सकती है जो विपक्षियों से भाजपा को आगे निकलने में मददगार साबित होगी. वहीं स्मृति इरानी अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़कर खुद को सूबे की सियासत का एक जाना-पहचाना चेहरा पहले ही बना चुकीं हैं और समय-समय पर वह उत्तर प्रदेश के दौरे पर रहकर कांग्रेस पर वार करतीं नजर आतीं हैं. इधर महेश शर्मा ब्राह्मण चेहरा हैं जिन्हें संघ का समर्थन हासिल है जबकि केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष हैं और गैर यादव दलित वोटरों को रिझाने के लिए पार्टी इनके नाम का इस्तेमाल कर सकती है. इसलिए प्रदेश में भाजपा को सबसे अधि‍क माथापच्ची मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर करनी पड़ेगी. यही पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती है.

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