इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज उस जनहित याचिका पर सुनवाई 25 अक्तूबर तक स्थगित कर दी जिसमें मथुरा के जवाहर बाग की घटना की जांच सीबीआइ को सौंपने की मांग की गई थी. उधर, एक याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार का जवाबी हलफनामा अस्पष्ट, झूठा और अनुचित है. दो पुलिस अधिकारियों सहित 20 से अधिक लोगों की इस हिंसा में मौत हुई थी. यह हिंसा एक अदालती आदेश के बाद जून में जगह खाली कराने की कार्रवाई के दौरान हुई थी और इस सार्वजनिक पार्क से विस्फोटकों, हथियारों और गोलियों का जखीरा बरामद हुआ था. इस पर स्वयंभू नेता राम वृक्ष यादव के अनुयायियों ने अवैध कब्जा कर रखा था.
मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह के उपस्थित नहीं होने पर याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी. सिंह इस मामले में राज्य सरकार की तरफ से पेश हो रहे हैं. अदालती कक्ष से बाहर आने पर मुख्य याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार सुनवाई की हर तारीख पर पर सत्तारुढ़ सपा के वरिष्ठ नेताओं को बचाने के लिए नई तिकड़म के साथ सामने आ रही है, भूमि कब्जा करने में मदद में जिनकी भूमिका जांच के दायरे में है.