Magh Mela 2022: हिंदू राष्ट्र की मांग जमीनी मुद्दों से भटकाने की कोशिश है : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
Magh Mela 2022: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की मांग जमीनी मुद्दों से भटकाने की कोशिश है. देश हिंदू राष्ट्र सम्मेलन करके घोषित नहीं होगा. यह मुद्दों से भटकाने की कोशिश है. केवल नाम करण से क्या हिंदू राष्ट्र हो जायेगा.
Magh Mela 2022, Prayagraj News: जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती मंगलवार को माघ मेले में स्नान करने पहुंचे. इस दौरान धर्म संसद और सम्मेलन पर प्रभात खबर से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि क्या किसी भी सभा को संसद कहा जा सकता है. क्या संसद मजाक की वस्तु हैं. कुछ लोग सम्मेलन कर उसे धर्म संसद कह देंगे तो क्या वह धर्म संसद हो जायेगी.
हिंदू राष्ट्र के स्वरूप को लेकर धर्म संसद में नहीं हुई चर्चा
स्वामी अविमुक्तेश्ववरानंद ने कहा कि जब सनातन धर्म के सर्वोच्च आचार्य शंकराचार्य आमंत्रित करें, तब धर्म संसद होगी. धर्म संसद में निर्णय किस आधार पर लिए जाए. इस पर भी विस्तार से चर्चा होनी चाहिए. हिंदू राष्ट्र की मांग अच्छी लग सकती है, लेकिन हिंदू राष्ट्र कैसा होगा, क्या उसके स्वरूप को लेकर चर्चा हुई.
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जब सब हिंदू धर्म का पालन करने लगेंगे, तब देश हिंदू राष्ट्र घोषित होगा
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि देश में सरकार है, जो हिंदुओं को अपना हितैषी बताती है, इसलिए स्वाभाविक है इस तरह की मांग उठेगी और चुनाव भी चल रहे हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, क्या कभी राम ने हिंदू राष्ट्र घोषित किया? क्या विक्रमादित्य ने घोषित किया? जब सब हिन्दू धर्म का पालन करने लगेंगे, तब होगा.
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देश महामारी से जूझ रहा है, फिर भी रैलियां हो रही हैं
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि आज रोजगार नहीं है. आज देश महामारी से जूझ रहा है, तब भी चुनावी रैलियां हो रही हैं. हमारे देश के नेता कह कुछ रहे हैं, कर कुछ रहे हैं. उन्होंने कहा कि संत को राजनीतिक नहीं होना चाहिए. हम चुनी हुई सरकार का सम्मान करते हैं. हम आशा करते हैं कि जो भी सरकार सत्ता में है, वह देश की संस्कृति सभ्यता से भटकती है तो हम मार्ग दिखाने का काम करते आए हैं और करेंगे. देश हिंदू राष्ट्र सम्मेलन करके घोषित नहीं होगा. यह मुद्दों से भटकाने की कोशिश है. केवल नाम करण से क्या हिंदू राष्ट्र हो जायेगा.
राष्ट्र ध्वज की तरह नहीं हो रहा गंगा का सम्मान
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आखिर में कहा, हमने कांग्रेस के समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित करने की मांग की थी, जिससे वह अविरल और निर्मल हो सके. हमने सोचा था कि जिस प्रकार राष्ट्र ध्वज का सम्मान है, उसी प्रकार गंगा का सम्मान होगा. जैसे राष्ट्र ध्वज पर एक गिलास गटर का पानी फेंक दिया जाए तो अरेस्ट कर लिया जाएगा, उसी प्रकार गंगा में जो मल जल गिर रहा है, रोक दिया जायेगा. फैक्ट्रियों का दूषित जल रोक दिया जायेगा, लेकिन आज राष्ट्रीय नदी घोषित होने के बाद भी गंगा में मल और गटर का पानी गिर रहा है. उसी प्रकार हिंदू राष्ट्र घोषित होने से कुछ नहीं होगा, इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए कि हिंदू राष्ट्र का स्वरूप कैसा होगा?
रिपोर्ट- एस के इलाहाबादी, प्रयागराज