Lucknow: पीएम नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर भारत में सबसे बड़े सैन्य अलंकरण परमवीर चक्र के 21 विजेताओं के नाम परअंडमान निकोबार के द्वीपों का नामकरण किया है. खासबात यह है कि इस सूची में यूपी के चार परमवीम चक्र विजेता हैं. इनमें से तीन कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार वीर अब्दुल हमीद, नायक जदुनाथ सिंह, कैप्टन मनोज कुमार पांडेय को मरणोपरांत और ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को जीवित रहते हुये परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है.
यूपी के गाजीपुर जिले के धरमपुर गांव में जन्में वीर अब्दुल हमीद को असाल उत्तर की लड़ाई में शौर्य प्रदर्शन के लिये 10 सितंबर 1965 को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. वह 27 दिसंबर 1954 को 21 वर्ष की आयु में ग्रेनेडियर्स इंफैंट्री रेजीमेंट में भर्ती हुये थे. पाकिस्तान से लड़ाई में उन्होंने अपनी तोपयुक्त जीप से तीन पैंटन टैंक ध्वस्त किये थे. इसी से नाराज होकर पाकिस्तानी सेना ने उन पर एक साथ हमला बोला था. इसी हमले में वह शहीद हो गये थे. भारत पाकिस्तान युद्ध में उनके असाधारण योगदान को देखते हुये परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
Also Read: Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti: आजादी की लड़ाई की अलख जगाने दो बार लखनऊ आये थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस
यूपी के सीतापुर जिले के निवासी कैप्टन मनोज कुमार पांडे को 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान उनके साहस और नेतृत्व के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. उनका जन्म सीतापुर के रूधा गांव में 25 जून 1975 को हुआ था. वह एनडीए से भारतीय सेना में चुने गये. ट्रेनिंग पूरी करने को बाद उन्हें 11 गोरखा राइफल्स रेजीमेंट की पहली बटालियन में बतौर कमीशंड ऑफिसर शामिल किया गया था. 1999 कारगिल युद्ध में उन्होंने दुश्मन के बंकरों को ध्वस्त किया था. इसी दौरान उनको एक गोली सिर में लगी थी. जिससे मात्र 24 वर्ष की आयु में कैप्टन मनोज पांडेय वह शहीद हो गये थे. सेना ने मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र दिया था.
यूपी के शाहजहांपुर जिले की कलान तहसील के गांव खजुरी के निवासी जदुनाथ सिंह को भी परमवीर चक्र सम्मान दिया गया है. जदुनाथ सिंह को 1941 में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल किया गया था. उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा में जापान के खिलाफ लड़ाई में भाग लिया. भारतीय सेना की राजपूत रेजीमेंट में रहते हुये उन्होंने 1947 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया. 6 फरवरी 1948 को जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में जदुनाथ सिंह ने अकेले ही कबाइली भेष में आये पाकिस्तानी सेना के सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूरकर दिया था. इसी लड़ाई के बीच एक गोली उनके सिर में आकर लगी थी, जिससे वह वीरगति को प्राप्त हुए थे. नायक जदुनाथ सिंह को भी मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
भारतीय सेना के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित मानद कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव का जन्म 10 मई 1980 को बुलंदशहर के औरंगाबाद गांव में हुआ था. उनके पिता करण सिंह कुमाऊं रेजिमेंट में थे. 16 साल पांच माह की आयु में 1996 में वह 18 ग्रेनेडिएर्स में भर्ती हुए थे. 1999 में कारगिल युद्ध में टाइगर हिल पर कब्जा करने में उन्होंने अदम्य साहस और पराक्रम का प्रदर्शन् किया था. इसी पराक्रम की देन थी कि भारत ने टाइगर हिल पर कब्जा किया था. कैप्टन योगेंद्र यादव ने कई गोलियां लगी होने के बावजूद घायल हालत में टाइगर हिल की तीन चौकियों पर कब्जा किया था और वहां तिरंगा लहराया था. इस संघर्षपूर्ण मिशन को पूरा करने वाले योगेंद्र यादव को मात्र 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र सम्मान दिया गया था.