Ayodhya News: हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थल अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा सकुशल निपट गयी. प्रशासन की मुस्तैदी और सूझबूझ से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ. 1 नवंबर को यह परिक्रमा रात 12:48 पर अक्षय नवमी का मान लगते ही शुरू और 2 नवंबर की रात 10:33 पर समाप्त हुई. लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस परिक्रमा में पहुंचे.
मान्यता है कि परिक्रमा करने से पूर्व जन्म के पाप धुल जाते हैं. श्रद्धालु मनौतियां मानकर भी परिक्रमा करते हैं. अयोध्या में पांच हजार से अधिक मंदिरों में विराजमान ठाकुरजी व ऋषियों-मुनियों के स्थलों का एक बार में ही परिक्रमा हो जाती है. साथ ही अक्षय नवमी पर किया गया पुण्य अक्षय होने की मान्यता भी है.
अयोध्या में 84, 14 और पंचकोसी परिक्रमा की मान्यता है. 84 कोसी परिक्रमा पूरे अवध क्षेत्र की, 14 कोस की परिक्रमा अयोध्या शहर और पंचकोशी परिक्रमा अयोध्या क्षेत्र में लगती है. मान्यता है कि अयोध्या की परिक्रमा के बाद कार्तिक मास में स्नान का विशेष महत्व है. जो श्रद्धालु 14 कोस की परिक्रमा नहीं लगा पाते हैं, वो देवोत्थान एकादशी के दिन पंचकोसी परिक्रमा करते हैं.
मान्यता है कि परिक्रमा करने से पंचतत्वों से निर्मित शरीर की शुद्धि होती है. परिक्रमा करने से इस जन्म सहित सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. परिक्रमा के बाद सरयू नदी में स्नान किया जाता है. श्रीराम के जयघोष के साथ परिक्रमा पूरी की जाती है. मान्यता है कि सभी तीर्थों पर एक विशेष ऊर्जा महसूस होती है. यह ऊर्जा मंत्रों, पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों से पैदा होती है. इसीलिये तीर्थाटन, परिक्रमा करने से यह ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है और शरीर को शुद्ध करती है.
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3 नवंबर एकादशी को पंचकोसी परिक्रमा
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4 नवंबर को शाम 6:43 बजे तक पंचकोसी परिक्रमा
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7 नवंबर 3:37 बजे से कार्तिक पूर्णिमा स्नान शुरू
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8 नवंबर को दोपहर 3:33 बजे तक कार्तिक पूर्णिमा स्नान
जिलाधिकारी जनपद अयोध्या के साथ चौदह कोसी परिक्रमा मेले में निरंतर भ्रमणशील रहकर सम्बंधित अधिकारीगण व कर्मचारीगण को आवश्यक दिशा–निर्देश दिये गये। pic.twitter.com/Y4tZKZOFNx
— IG Range Ayodhya (@igrangeayodhya) November 1, 2022