लखनऊ : वर्षों से से जिस घड़ी का इंतजार था वह घड़ी अब नजदीक है. अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीराम मंदिर के लिए भूमिपूजन पांच अगस्त को दोपहर 12:15 बजे करेंगे. भूमि पूजन के दिन विश्व हिंदू परिषद घर-घर दीप जलाने का कार्यक्रम आयोजित करेगी. इस दिन प्रत्येक हिंदू परिवार को गौरवमयी अवसर से जोड़ने के लिए वृहद अभियान चलाया जायेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर की नींव रखेंगे, वहीं घर-घर, गांव-गांव में दीपोत्सव मनाया जायेगा.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर के लिए भूमि पूजन पांच अगस्त को दोपहर 12:15 बजे करेंगे, पर रामजन्मभूमि पर भूमि पूजन का अनुष्ठान तीन अगस्त से ही शुरू हो जायेगा.
अनुष्ठान के समन्वयक-संयोजक आचार्य इंद्रदेव शास्त्री के अनुसार पहले दिन गणपति पूजन एवं पंचांग पूजन के साथ अनुष्ठान की शुरुआत होगी. साथ ही वाल्मीकि रामायण एवं कई अन्य शास्त्रीय ग्रंथों का पाठ शुरू होगा. दूसरे दिन पाठ की निरंतरता के साथ रामार्चा पूजन और प्रवचन का क्रम संयोजित होगा, जबकि भूमिपूजन के दिन शास्त्रानुकूल भूमिपूजन का पारंपरिक अनुष्ठान होगा. इसे 10 से 15 वैदिक आचार्य संपादित करायेंगे. इनमें चुनिंदा स्थानीय वेदज्ञों के साथ दिल्ली एवं बनारस तक के विद्वान शामिल होंगे.
पांच अगस्त को राममंदिर का भूमिपूजन तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, मगर इस मौके पर रामलला से सरोकार रखने वाले दिग्गज भी मौजूद रहेंगे. इनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और विनय कटियार जैसे भगवा सियासत के पर्याय प्रतिनिधि राजनीतिज्ञों और मंदिर आंदोलन से जुड़े शीर्ष संत भी शामिल होंगे.
भूमि पूजन समारोह के दौरान कोरोना से बचाव की भूमि पूजन में गाइड लाइन का अक्षरश: पालन किया जायेगा. कोरोना संकट शुरू होने के साथ ही स्वयं प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश इस संकट का सामना कर रहा है. इस दौरान प्रधानमंत्री कहीं भी रहे हों, उन्होंने कोरोना से बचाव की गाइड लाइन का पूरा ध्यान रखा है और अयोध्या में वे इस दिशा में कहीं अधिक सजग होंगे. इसके लिए विपक्ष की वह बयानबाजी भी है, जिसमें कोरोना संकट के बीच राम मंदिर के भूमिपूजन तथा इसमें प्रधानमंत्री के शामिल होने पर सवाल उठाये जा रहे हैं.