राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा 17 दिन शेष: अयोध्या में गूंजेगी बनारसी बधइया

अयोध्या (Ayodhya) में रामलला (Ram Lalla) की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जोरदार ढंग से तैयारी चल रही है. पंडित दुर्गा प्रसन्ना ने बताया कि शहनाई की मंगल ध्वनि के बाद वह सबसे पहले बधइया की धुन छेड़ेंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | January 5, 2024 10:58 AM

प्रभु श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आगाज शहनाई की मंगल ध्वनि से होगा. इसके लिए बनारस संगीत घराने के विख्यात पंडित दुर्गा प्रसन्ना को आमंत्रित किया गया है. उनकी शहनाई से निकली ‘सरयू द्वारे बधइया बाजे’ की गूंज प्रसन्ना प्रभु रामलला के आंगन से लेकर पूरी अयोध्या में सुनायी देगी. यह भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की बनारसी बधइया ‘गंगा द्वारे बधइया बाजे’ से प्रेरित है.

पंडित दुर्गा प्रसन्ना ने बताया कि शहनाई की मंगल ध्वनि के बाद वह सबसे पहले बधइया की धुन छेड़ेंगे. इसके बाद ‘रघुपति राघव राजा राम, ‘श्रीरामचंद्र कृपाल भजन मन,‘जय जय राम रघुराई, ‘पायो जी मैं तो राम रतन धन पायो’ बजायेंगे. रामलला को गोस्वामी तुलसी दास के कुछ भजन सुनाने की भी उनकी योजना है.

गर्भगृह में सोयेंगे रामलला

अयोध्या में होने वाले अनुष्ठान से जुड़े प्रमुख वैदिक विद्वान पंडित सुनील दीक्षित ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व रात्रि यानी 21 जनवरी को बाल रामलला को गर्भगृह में शैय्या पर सुलाया जायेगा. इससे पहले भगवान के विधिवत न्यास संपन्न होंगे. न्यास का तात्पर्य शरीर जो जड़ है, उसमें चैतन्यता लाने की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. जब शरीर चेतन हो जायेगा, तो वह दर्शन योग्य होगा. उसमें प्राण तत्व, जीव तत्व, आत्म तत्व लाने के लिए मंत्रों से न्यास संपन्न किया जायेगा. अगले दिन यानी 22 जनवरी को सुबह भगवान का देव प्रबोधन होगा. विशेष मंत्रोच्चार के बीच प्रभु से उठने और त्रिलोक का मंगल करने की प्रार्थना की जायेगी.

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अनुष्ठान कार्यक्रम

16 जनवरी : मंदिर ट्रस्ट के यजमान द्वारा प्रायश्चित, दशविध स्नान और विष्णु पूजन

17 जनवरी : रामलला की मूर्ति का अयोध्या भ्रमण, कलश यात्रा

18 जनवरी : गणेश अंबिका पूजन, ब्राह्मण वरण, वास्तु पूजन

19 जनवरी : अरणीय मंथन (अग्नि स्थापना) नवग्रह स्थापन

20 जनवरी : गर्भगृह को सरयू जल से धोने के बाद वास्तु शांति

21 जनवरी : रामलला की मूर्ति को 125 कलशों से दिव्य स्नान कराने के बाद शय्याधिवास

22 जनवरी : सुबह पूजन के बाद मध्याह्न काल में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा

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