Ayodhya, Ram Mandir Latest Updates : अयोध्या में सवा तीन साल में बनेगा भव्य राम मंदिर, हजारों सालों तक चमक रहेगी बरकरार
ayodhya, ram mandir : अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर सवा तीन साल में बनकर तैयार हो जाएगा. Ram temple will remain safe for 1000 years kaise banega mandir
अयोध्या (ayodhya) में भव्य श्री राम मंदिर (ram mandir) सवा तीन साल में बनकर तैयार हो जाएगा. निर्णाण समिति दिव्य और भव्य मंदिर का नक्शा तैयार कर रहा है जिसकी छमक हजारों सालों तक बरकरार रहेगी. समिति ब्लू प्रिंट पर लगातार मंथन कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पूर्व सलाहकार नृपेन्द्र मिश्र ने मंदिर के निर्माण कार्यों की जानकारी ली है. टाटा, एलएंडटी समेत कई प्राख्यात इंजीनियरिंग संस्थानों की मदद से भव्य मंदिर के निर्माण की रणनीति तैयार की जा रही है. विशेषज्ञों को कहना है कि मंदिर निर्णाम में सवा तीन साल लग सकते हैं. निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने एलएंडटी सहित आईआईटी चेन्नई के विशेषज्ञों के साथ राममंदिर निर्माण के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की है.
तकनीकी विशेषज्ञों ने राममंदिर की भव्यता और उसकी मजबूती को लेकर प्रजेंटेशन भी दिया है. शनिवार को निर्माण समिति की बैठक में टाटा कंपनी के इंजीनियर भी शामिल हुए. भव्य मंदिर के लिए खाका तैयार हो गया है. ट्रस्ट किसी जल्दबाजी में नहीं है, इस समय सबसे ज्यादा ध्यान राममंदिर के तकनीकि पक्ष, उसकी मजबूती व भव्यता पर केंद्रित किया जा रहा है. नृपेन्द्र मिश्र रविवार तक अयोध्या में रहकर मंदिर निर्माण से जुड़े संस्थानों के साथ गहन विचार विमर्श करेंगे.
ताबें के छड़ से मंदिर का निर्माण : आपको बता दें कि राममंदिर निर्माण को लेकर अगस्त के महीने में राम तीर्थ क्षेत्र की बैठक हुई थी, जिसमें मंदिर के निर्माण को लेकर योजना बनाई गई. इस बैठक में निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र सहित अन्य लोग शामिल रहे. खबर आई थी कि मंदिर निर्माण में लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा. राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपय राय ने बताया था कि मंदिर के निर्माण के लिए लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा. हम ताबें के छड़ों से मंदिर का निर्माण करेंगे. वहीं राम तीर्थ क्षेत्र ने ट्वीट कर बताया था कि मन्दिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा.
आईआईटी मद्रास का सहयोग: मिट्टी की ताकत को मापने के लिये आईआईटी मद्रास की सलाह ली गई है. दो स्थानों से 60 मीटर तथा पांच स्थानों से 40 मीटर की गहराई से मिट्टी के नमूने भेजे गए हैं. कुछ जगहों पर 20 मीटर की गहराई से मिट्टी के नमूने भेजे गए हैं .
Posted By : Amitabh Kumar