(अयोध्या से आनंद मोहन) प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जारी है. मंदिर को अंतिम स्वरूप देने के सााथ-साथ प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को भी फाइनल किया जा रहा है. अनुष्ठान के अंतिम दिन सबसे पहले रामलला स्वयं आइने में अपनी छवि निहारेंगे. भगवान को यह दर्पण पीएम नरेंद्र मोदी दिखायेंगे. इससे पहले मोदी वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रामलला के नेत्रों से पट्टी खोलेंगे, उन्हें सोने के सिक्के से काजल लगायेंगे और पंचोपचार पूजन कर आरती उतारेंगे.
पांच लोग रहेंगे मौजूद : प्राण प्रतिष्ठा के दौरान गर्भगृह में केवल पांच लोग रहेंगे. पीएम मुख्य यजमान होंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत, उप्र की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ व मुख्य आचार्य भी इसमें शामिल होंगे.
सोने से मढ़ा जा रहा प्रभु श्रीराम का सिंहासन: प्रभु रामलला के विग्रह के लिए बनाये गये सिंहासन को सोने से मढा जा रहा है. तीन फीट ऊंचा और आठ फीट चौड़ा यह सिंहासन मकराना संगमरमर से बना है. इस पर सोने की परत चढ़ाने के लिए विशेष तकनीक से तांबे का मूल ढांचा तैयार किया गया है.
श्रद्धालु चखेंगे बनारसी पकवान मोटे अनाज को भी बढ़ावा: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनने के लिए पहुंचे अतिथियों को लजीज बनारसी पकवान परोसे जायेंगे. इन अतिथियों के लिए टेंट सिटी का निर्माण हो रहा है. यहां उन्हें पौराणिक और आधुनिक अयोध्या के समावेश की अनुभूति होगी. अतिथियों को खाने में मोटे अनाज के पकवान, मक्के की रोटी व सरसों का साग, बाजरे की रोटी, मटर का निमोना, बाटी चोखा, मूंग खिचड़ी समेत अन्य पकवान परोसे जायेंगे. कई मठों ने भी मुफ्त भोजन की व्यवस्था की है. पांच हजार से अधिक मठ पांच लाख लोगों के खाने के लिए कमर कसे बैठे हैं.
Also Read: Video: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी अयोध्या रहेगी राममय, सांस्कृति विभाग कर रहा तैयारीदलपूजा के लिए बनीं तीन टीमें: प्राण प्रतिष्ठा के बाद होनेवाले दलपूजा के लिए आचार्यों की तीन टीमें बनायी गयी हैं. पहले दल का नेतृत्व स्वामी गोविंद देव गिरि करेंगे. दूसरे दल का नेतृत्व शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती करेंगे, जो कि कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य हैं. वहीं, तीसरी टीम में काशी के 21 विद्वान रखे गये हैं.
सोने से मढ़ा जा रहा प्रभु श्रीराम का सिंहासन: प्रभु रामलला के विग्रह के लिए बनाये गये सिंहासन को सोने से मढा जा रहा है. तीन फीट ऊंचा और आठ फीट चौड़ा यह सिंहासन मकराना संगमरमर से बना है. इस पर सोने की परत चढ़ाने के लिए विशेष तकनीक से तांबे का मूल ढांचा तैयार किया गया है.
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-शंख वादन, डमरू वादन, बम रसिया, मयूर नृत्य, अवधी, वनटांगिया व फरुवाही समेत अनेक संस्कृतियों की प्रस्तुति, राई लोक नृत्य, बीन नृत्य, बहरूपिया, चकरी नृत्य