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अवध तहां, जहं राम निवासू: अयोध्या के राम मंदिर को भव्य बना रहे तीन द्वार, पढ़ें और क्या है यहां खास

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मंदिर की भव्यता में तीन द्वार चार चांद लगायेंगे. एक दर्जन से अधिक सीढ़ियों के सहारे जब आप मंदिर की ओर जायेंगे, तो पहले मंदिर का मुख्य द्वार मिलेगा. इसके अलावा मंदिर के बाईं और दाईं तरफ भी दो भव्य द्वार बनाये गये हैं. तस्वीरों में देखें कुछ खास

अयोध्या में बन रहा दिव्य राम मंदिर शानदार शिल्प कौशल और आधुनिक इंजीनियरिंग का श्रेष्ठ नमूना होगा. मंदिर का निर्माण जोर-शोर से चल रहा है. कोशिश हो रही है कि अगले पांच महीने में निर्माण के पहले चरण का काम पूरा हो जाए. अगले साल जनवरी की किसी तिथि को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी है. मंदिर निर्माण से जुड़े एक-एक पहलू का जायजा लेने के लिए प्रभात खबर ने अपने प्रतिनिधि को अयोध्या भेजा. मंदिर के बाहरी व भीतरी परिसरों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है. पढ़िए हमारे प्रतिनिधि सुजीत कुमार सिंह की यह ग्राउंड रिपोर्ट.

दर्शन के दिन अब दूर नहीं…

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का लगभग 70 फीसदी से ज्यादा निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. जनवरी 2024 के पहले हफ्ते तक दूसरे तल का निर्माण कार्य संपन्न हो जायेगा. बड़ी बात यह है कि मंदिर के गर्भगृह का मंडप भी बन चुका है. पूरी संभावना है कि जनवरी के तीसरे सप्ताह तक रामलला को मंदिर के गर्भगृह में विराजित कर दिया जायेगा. मणिराम दास छावनी के ट्रस्ट के सदस्य महंत कमल नयन दास कह चुके हैं कि 14-15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खोल दिये जायेंगे. राम मंदिर के भव्य उद्घाटन का समारोह दिसंबर में ही शुरू हो जायेगा. पहली बार मंदिर ट्रस्ट और राज्य सरकार अयोध्या में भव्य रामनवमी समारोह मनाने की योजना बना रही है.

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पंचकोसी मार्ग का सीधा रास्ता मंदिर तक

अयोध्या में पंचकोसी यात्रा का अपना विशेष धार्मिक महत्व है. यह यात्रा दशकों से चली आ रही है. कहा जाता है कि पांच कोस तक श्रद्धालु भगवान की परिक्रमा करते हैं. श्रीराम जन्मभूमि को लेकर जब विवाद का दौर आया, तो पंचकोसी यात्रा एक तरह से ठहर-सी गयी थी. अब पंचकोसी यात्रा को भव्यता प्रदान की जा रही है. बड़ी बात यह है कि पंचकोसी यात्रा की शुरुआत और अंत मंदिर के द्वार से ही होगी. मंदिर प्रांगण से कुछ दूर तक अंडरग्राउंड रास्ता बनाया जा रहा है. कुछ भाग बन कर तैयार भी हो गये हैं. जब पंचकोसी मार्ग पूरी तरह बन कर तैयार हो जायेगा, तो श्रद्धालुओं का सीधा जुड़ाव श्रीराम मंदिर से हो हो जायेगा.

पहली बार भगवान श्रीराम के मंदिर के गर्भगृह के दर्शन

प्रभात खबर आपको पहली बार भगवान श्रीराम के मंदिर के गर्भगृह के दर्शन करा रहा है. यहां गर्भगृह की भव्यता एक अलग छटा बिखेर रही है. गर्भगृह पूरी तरह बन कर तैयार है. इसके बीचोंबीच भगवा ध्वज श्रीराम के स्थापित होने का इंतजार कर रहा है. मंदिर के मुख्य द्वार से ही गर्भगृह स्पष्ट नजर आयेगा. हजारों की भीड़ में भी श्रद्धालु प्रारंभिक सीढ़ी से ही भगवान के दर्शन कर सकेंगे.

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श्री राम मंदिर निर्माण में वैसे तो सैकड़ों कामगार लगे हैं, लेकिन कुछ कैप्टन की भूमिका में हैं. ऐसे ही कैप्टन हैं औरंगाबाद के अनिल ठाकुर. वे दो वर्ष पहले अयोध्या आये थे. अनिल ने बताया कि कामगारों को स्पष्ट निर्देश है कि जनवरी के पहले हफ्ते तक मंदिर निर्माण व अन्य कार्य पूरे हो जाएं. उसी अनुसार वे काम कर रहे हैं.

मंदिर को भव्य बना रहे तीन द्वार

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मंदिर की भव्यता में तीन द्वार चार चांद लगायेंगे. एक दर्जन से अधिक सीढ़ियों के सहारे जब आप मंदिर की ओर जायेंगे, तो पहले मंदिर का मुख्य द्वार मिलेगा. इसके अलावा मंदिर के बाईं और दाईं तरफ भी दो भव्य द्वार बनाये गये हैं. व्यवस्था ऐसी की गयी है कि हजारों श्रद्धालु एक साथ भगवान का दर्शन कर पायेंगे. गर्भगृह से सटा परिक्रमा मार्ग भी बनाया गया है. इस मार्ग की दीवारों पर सुंदर चित्रकारी की गयी है और देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गयी हैं. हालांकि, परिक्रमा मार्ग अभी पूरी तरह नहीं बना है, इसका काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है.

बिहार-झारखंड के कामगार जुटे हैं सेवा में

देशभर के लगभग तीन हजार श्रमिक श्रीराम मंदिर के साथ-साथ अन्य मंदिरों के निर्माण में लगे हुए हैं. मंदिर निर्माण में गया, सहरसा, शेखपुरा, बेगूसराय, नालंदा, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद सहित बिहार के विभिन्न जिलों के लगभग 600 कामगार अपनी भूमिका निभा रहे हैं. झारखंड के अलग-अलग जिलों के भी 200 से ज्यादा मजदूर भगवान श्रीराम की सेवा में लगे हैं. बिहार-झारखंड के अलावा बंगाल, उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों के कामगार मंदिर निर्माण में जुटे हैं. इन कामगारों में कोई दीवारों पर नक्काशी कर रहा है, तो कोई लकड़ी का काम कर रहा है. औरंगाबाद जिले के लगभग 250 कामगार देवी-देवताओं की मूर्तियों को तराशने के साथ-साथ दरवाजे और खिड़कियां बनाने में जुटे हैं.

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राम मंदिर की तरह ही हवाई अड्डा

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की तरह दिखने वाले हवाई अड्डे के पहले टर्मिनल का संचालन जल्दी ही शुरु हो जायेगा. पहले टर्मिनल की क्षमता 300 यात्रियों की होगी. बाकी के तीन टर्मिनल 2025 में पूरी तरह बन कर तैयार हो जायेंगे. पहले टर्मिनल के शुरू होने के बाद सालाना करीब छह लाख यात्री इसकी सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे. इसके निर्माण में उन्हीं पत्थरों का इस्तेमाल किया गया, जिनसे राम मंदिर बन रहा है. इस एयरपोर्ट का नाम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट रखा गया है. पूरी इमारत पर राम मंदिर की ही तरह की नक्काशी भी की जा रही है और टर्मिनल में रामायण से संबंधित चित्र लगाये जायेंगे.

मंदिर के भूतल की लंबाई (पूरब से पश्चिम) 380 फीट तथा चौड़ाई (उत्तर से दक्षिण) 250 फीट. यह मंदिर भूतल के साथ तीन मंजिल का है. मंदिर की कुल ऊंचाई 392 फुट होगी, जिसमें भूतल की ऊंचाई 166 फुट, प्रथम तल की 144 फुट और दूसरे तल की 82 फुट होगी.

70 एकड़ में है राम मंदिर का पूरा परिसर…

अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर 2.7 एकड़ भूमि पर बन रहा है. हालांकि, पूरा परिसर लगभग 70 एकड़ भूमि में है. इस परिसर में इतनी जगह होगी कि लाखों भक्त एक साथ मंदिर में भगवान राम का दर्शन कर सकेंगे. श्रीराम मंदिर को नागर शैली में बनाया जा रहा है.

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2100 किलो का होगा मंदिर का प्रमुख घंटा

मंदिर में 2100 किलो का एक विशाल घंटा लगेगा, जो छह फुट ऊंचा और पांच फुट व्यास का होगा. मंदिर में विभिन्न आकार के 10 छोटे घंटे भी लगाये जायेंगे, जिनका वजन 500, 250, 100 किलो होगा. घंटों का निर्माण पीतल व अन्य धातुओं को मिला कर किया जायेगा.

त्रेतायुग की अनुभूति: …स्वागत के लिए कदम कदम पर लगी हैं मूर्तियां

अयोध्या का राम मंदिर परिसर कई एकड़ में फैला है. मंदिर परिसर को सजाने-संवारने का काम काफी तेजी से चल रहा है. मंदिर परिसर को हरियाली युक्त बनाया गया है. यहां कदम-कदम पर मूर्तियां लगायी जा रही हैं. मंदिर परिसर में आने वालों को ऐसी अनुभूति होगी कि वे कलियुग में नहीं, बल्कि त्रेता युग में हैं. त्रेतायुग के अनुसार ही विभिन्न मंदिरों को रूप दिया जा रहा है.

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उत्साह व उमंग: स्थानीय लोग बोले- बन रही है सपनों की अयोध्या नगरी

मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या वासियों में काफी उत्साह है. हनुमानगढ़ी के समीप प्रसाद की दुकान चलाने वाले मनोज साह, विवेक प्रसाद कहते हैं कि सपनों की अयोध्या बन रही है. कभी सोचा भी नहीं था कि उनके दिन बहुरने वाले हैं. राम लला परिसर के समीप दुकान चलाने वाले रामविजय कहते हैं कि मंदिर के बन जाने के बाद उनकी दुकान भले ही न रहे, जब अयोध्या का नाम संसार में जागृत होगा, तो वे अंधेरे में नहीं रहेंगे. रोजी-रोटी भगवान खुद चलायेंगे.

श्रद्धा और भक्ति

अयोध्या में हर रोज श्रद्धालुओं की भीड़ आ रही है. वृंदावन से परिवार के साथ हनुमानगढ़ी पहुंचीं कल्याणी गुप्ता कहती हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन वे हर दिन करती हैं, लेकिन श्रीकृष्ण व राधे के रूप में रामलला व सीता मइया का दर्शन करने वे अयोध्या पहुंची हैं. इसी तरह रांची के रोशन, पटना के मनोहर प्रसाद ने बताया कि वे हर वर्ष हनुमान जी और रामलला का दर्शन करने आते हैं.

रेलवे स्टेशन की नयी बिल्डिंग बन कर तैयार…

अयोध्या नगरी अब बिल्कुल नये अवतार में दिख रही है. वहां जाने पर पता ही नहीं चलेगा कि यह वही पुरानी अयोध्या है. सभी हाइवे पर बायपास की तरफ भव्य द्वार बन रहे हैं. इन द्वारों के पास पहुंचते ही पता चल जायेगा कि आप अयोध्या आ गये हैं. जनवरी में जब राम लला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे, उस समय लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में होंगे. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगातार काम चल रहा है. सड़कें चौड़ी हो रही हैं. रेलवे स्टेशन की नयी बिल्डिंग भी लगभग तैयार है. स्टेशन को इस प्रकार से बनाया जा रहा है कि पर्यटक या श्रद्धालु यहां पहुंचें, तो उन्हें इस बात का आभास हो कि वह धर्म नगरी अयोध्या में हैं.

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एयरपोर्ट की तरह सुविधा

रेलवे स्टेशन का निर्माण दो चरणों में होना है. पहले चरण का काम पूरा हो चुका है. रेलवे स्टेशन में जाने के लिए 12 प्रवेश द्वार बन रहे हैं. एयरपोर्ट की तरह रेलवे स्टेशन को पूरी तरह सेंट्रलाइज्ड एसी युक्त बनाया गया है. यहां लिफ्ट व एस्केलेटर, एसी वेटिंग रूम, वॉशरूम, पेयजल बूथ, फूड प्लाजा समेत अन्य सुविधाएं तैयार हो चुकी हैं.

जंक्शन से 800 मी. दूर है मंदिर

अगर आप ट्रेन से अयोध्या जाना चाहते हैं, तो इसके लिए तीन रुट हैं. काशी से आयेंगे, तो अयोध्या जंक्शन उतरेंगे. लखनऊ से आने पर अयोध्या कैंट और गोरखपुर से आ रहे हैं तो रामघाट स्टेशन उतरेंगे. अयोध्या कैंट से राम मंदिर की दूरी नौ किलोमीटर है. रामघाट से तीन किलोमीटर तो अयोध्या जंक्शन से सिर्फ आठ सौ मीटर है.

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