Azadi Ka Amrit Mahotasav: लखनऊ की छतर मंजिल की दीवारों पर दर्ज है आजादी की गाथा
1781 में सबसे पहले जनरल क्लाउड मार्टिन ने इसे अपने निवास स्थान के रूप में बनवाया था. बाद में इसे नवाब सादत अली खान ने खरीद लिया. इसके बाद नवाब गाजीउद्दीन हैदर ने इसका निर्माण कराया. उनके उत्तराधिकारी नवाब नसीरउद्दीन हैदर ने इसका निर्माण पूरा किया. 1857 की बगावत के दौरान यह महल बागियों का गढ़ बना.
Azadi Ka Amrit Mahotasav: लखनऊ अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिये जाना जाता है. इन्हीं तथ्यों का बयां करता यहां एक महल आज भी पर्यटकों को रिझाता रहता है. गोमती नदी के किनारे बने इस महल को छतर मंजिल कहते हैं. इस महल को कई शासकों ने बनवाया है. 1781 में सबसे पहले जनरल क्लाउड मार्टिन ने इसे अपने निवास स्थान के रूप में बनवाया था. बाद में इसे नवाब सादत अली खान ने खरीद लिया. इसके बाद नवाब गाजीउद्दीन हैदर ने इसका निर्माण कराया. उनके उत्तराधिकारी नवाब नसीरूद्दीन हैदर ने इसका निर्माण पूरा किया. वर्ष 1857 की बगावत के दौरान यह महल बागियों का गढ़ बना.