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Azamgarh By Election: आजमगढ़ में किसके सिर बंधेगा जीता सेहरा, कम वोटिंग से चिंता में समाजवादी पार्टी

आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में कम वोटिंग से समाजवादी पार्टी चिंता में है. 2019 लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ में लगभग 57 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. 2022 में वोटिंग का प्रतिशत 48.58 है. यही नहीं इस बार बीएसपी ने वहां से अपना प्रत्याशी भी मैदान में उतारा है. इससे यादव के साथ ही मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लग गई है.

Azamgarh Upchunav: आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में कम वोटिंग से समाजवादी पार्टी आलाकमान के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गई हैं. 26 जून को यहां मतगणना होनी है. 2019 लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ में लगभग 57 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. 2022 में वोटिंग का प्रतिशत 48.58 है. लगभग 11 प्रतिशत कम मतदान समाजवादी पार्टी की चिंता को बढ़ा रहा है.

मोदी लहर के बावजूद सपा का लहरा रहा परचम

आजमगढ़ लोकसभा सीट वह सीट है, जिस पर मोदी लहर के बावजूद 2014 में मुलायम सिंह यादव ने सपा का परचम फहराया था. इसके बाद उनके बेटे अखिलेश यादव ने 2019 में भी बीजेपी के लहर के बावजूद रिकार्ड मतों से जीत हासिल की थी. लेकिन 2022 के उपचुनाव में यह जादू चलेगा की नहीं यह देखने वाली बात है. इस बार बीएसपी ने आजमगढ़ से अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है. जबकि 2019 में सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था.

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पांच बार सपा जीत चुकी है यह सीट

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में समाजवादी पार्टी का झंडा हमेशा बुलंद रहा है. यहां 1996 से 2022 तक पांच बार सपा के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. इसमें 1996, 1999, 2004 में रमाकांत यादव, फिर 2014 में मुलायम सिंह यादव, 2022 में अखिलेश यादव ने जीत हासिल की थी. जबकि दो बार 1998 और 2008 बीएसपी के प्रत्याशी अकबर अहमद डंपी ने जीत हासिल की.

रमाकांत यादव जिसके साथ, जीत उसकी

2009 में आजमगढ़ में बीजेपी ने भी अपना परचम फहराया था, लेकिन उनके प्रत्याशी रमाकांत यादव थे, जो तीन बार सपा के झंडे पर आजमगढ़ लोकसभा सीट जीत चुके थे. यानि की बीजेपी की जीत में पार्टी नहीं रमाकांत यादव का असर ज्यादा प्रभावी था. यादव गढ़ होने का तमगा हासिल कर चुके आजमगढ़ में बीते दो चुनाव से बीजेपी दिनेश लाल यादव निरहुआ को टिकट देकर समाजवादी पार्टी के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास कर रही है.

यादव वोट का बंटवारा और मुस्लिम वोटर का रुझान तय करेगा जीत

आजमगढ़ के बीते तीन चुनावों पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि 2009 में आजमगढ़ में कुल 44.69 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इसमें बीजेपी से रमाकांत यादव ने जीत हासिल की थी. बीएसपी के अकबर अहमद डंपी यहां दूसरे नंबर पर थे और सपा के दुर्गा प्रसाद यादव तीसरे स्थान पर रहे थे. इसमें यादव वोट बैंक का बंटवारा हुआ था. जिसका नुकसान सपा को हुआ था. मुस्लिम वोट के भरोसे बीएसपी ने दूसरा स्थान पाया था. इस बार भी समीकरण कुछ ऐसे ही दिख रहे हैं. दो यादव प्रत्याशी और एक मुस्लिम समाज का प्रत्याशी मैदान में है. अब देखना है कि यादव वोट बैंक किसके साथ जाता है.

आजमगढ़ लोकसभा सीट पर एक नजर

वर्ष प्रत्याशी जीते पार्टी

  • 1952 अलगू राय शास्त्री कांग्रेस

  • 1957 कालिका सिंह कांग्रेस

  • 1962 राम हरख यादव कांग्रेस

  • 1967 चंद्रजीत यादव कांग्रेस

  • 1971 चंद्रजीत यादव कांग्रेस

  • 1977 राम नरेश यादव जनता पार्टी

  • 1978 मोहसिना किदवाई कांग्रेस

  • 1980 चंद्रजीत यादव जनता पार्टी (से.)

वर्ष प्रत्याशी जीते पार्टी

  • 1984 संतोष सिंह कांग्रेस

  • 1989 राम कृष्ण यादव बसपा

  • 1991 चंद्रजीत यादव जनता दल

  • 1996 रमाकांत यादव सपा

  • 1998 अकबर अहमद डंपी बसपा

  • 1999 रमाकांत यादव सपा

  • 2004 रमाकांत यादव सपा

  • 2008 अकबर अहमद डंपी बसपा

  • 2009 रमाकांत यादव बीजेपी

  • 2014 मुलायम सिंह यादव सपा

  • 2019 अखिलेश यादव सपा

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