Hariyali Teej 2021, Banke Bihari Mandir, Swarna Rajat Hindola: हरियाली तीज (Hariyali Teej) का पर्व पूरे देश में आज बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. जहां हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाया जाता है. इस दौरान ब्रज के मंदिरों में हिंडोला उत्सव शुरू होता है, जिसमें भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में भक्तजन आते हैं. आज भी वृंदावन में हरियाली तीज पर स्वर्ण-रजत हिंडोले में जन-जन के आराध्य ठा. बांकेबिहारी के दर्शन के लिए लाखों की भीड़ उमड़ी. स्वर्ण-रजत निर्मित और चित्ताकर्षक सुगंधित पुष्पों से सुसज्जित हिंडोले में विराजमान ठा. बांकेबिहारी को भक्तों ने आस्था की डोर सुबह 8 बजे झुलाना शुरू किया.
जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं के मंदिर प्रवेश के लिए व्यापक इंतजाम कर रखे हैं. बता दें कि साल में सिर्फ आज ही के दिन ठाकुर बांके बिहारी मंदिर से बाहर निकलकर स्वर्ण रजत हिंडोले में विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. जिसको देखने के लिए क्षद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते है.
बताया जाता है कि सावन का महीना भगवान श्रीकृष्ण को सबसे लोकप्रिय है. इस माह में वह अपनी सखी-सहेलियों के साथ झूला झूलते थे. जिसके बाद ब्रज के लगभग सभी मंदिरों में ठाकुरजी के श्री विग्रह को झूला झुलाया जाता है. वहीं ब्रज में ठाकुरजी को झुलाने के उत्सव को हिंडोला उत्सव कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि संगीत शिरेमणि स्वामी हरिदास भी बिहारीजी को 5 सौ साल पहले फूल-पत्ती और कपड़े से निर्मित झूले में झूलाते थे, लेकिन बदले परिवेश में अब भक्त उन्हें स्वर्ण-रजत निर्मित भव्य हिंडोले में झूला झुलाते है.
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झूले के निर्माण के लिए कनकपुर के जंगल से शीशम की लकड़ियां मंगाई गई थी. इसमें एक लाख तोले चांदी और दो हजार तोले सोने का इस्तेमाल किया गया था. बता दें कि इस तरह का झूला संपूर्ण विश्व में कहीं नहीं है. वर्ण हिंडोले के अलग-अलग कुल 130 भाग हैं. साथ ही हिंडोले के साथ में चार मानव कद की सखियां भी मौजूद हैं. स्वर्ण-रजत झूले का मुख्य आकर्षण फूल-पत्तियों के बेल-बूटे, हाथी-मोर आदि बने हुए हैं.
राधे ठाकुर बांके बिहारी के दर्शनों के लिए श्रद्धालु वृंदावन पहुंच रहे है और भगवान के दर्शन कर अपने आपको धन्य कर रहे हैं. भक्तों में अपने आराध्य के प्रति आस्था देखते ही बन रही है. ऐसे में लोग कोरोना गाइडलाइन की भी जमकर धज्जियां उड़ा रहे है. दर्शन करने के समय भक्तजन न तो मास्क पहन रहे हैं, न ही सोशल डिस्टेसिंग की पालना कर रहे हैं. जिससे कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है.
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Posted By : Ashish Lata