Mathura Banke Bihari: धर्मनगरी में बांके बिहारी ने अपने श्रद्धालुओं को सोने के हिंडोले में बैठकर दर्शन दिए. हरियाली तीज के दिन बांके बिहारी के विशेष दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से वृंदावन पहुंचे. तय समय के अनुसार, रविवार सुबह 7:45 बजे मंदिर के पट खोले गए और बांके बिहारी की आरती की गई. इस दौरान बांके बिहारी मंदिर भक्तों की जयकारों से गुंजायमान हो गया.
बांके बिहारी को हरियाली तीज के दिन विशेष रूप से 22 किलो सोना और 1000 किलो चांदी के हिंडोले पर विराजमान किया गया. बांके बिहारी को हरे रंग के वस्त्र और हरे आभूषण पहनाए गए. ऐसा सिर्फ साल में एक बार ही होता है. इस दिन विशेष रूप से दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु देश विदेश से वृंदावन पहुंचते हैं. वहीं, रविवार से मथुरा जनपद में हरियाली तीज उत्सव की शुरुआत हो गई है जो रक्षाबंधन तक चलेगा.
एक तरफ जहां बाकी बिहारी को हरियाली तीज पर स्वर्ण हिंडोले में विराजमान किया जाता है. वहीं इस स्वर्ण हिंडोले ने रविवार को ही अपनी हीरक जयंती पूरी की है. इस हिंडोले को 1942 में महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के साथ बनाने की शुरुआत की गई थी. 1947 में यह हिंडोला बनकर तैयार हुआ और 15 अगस्त 1947 को पहली बार बांके बिहारी को इसमें विराजमान किया गया था. जहां एक तरफ पूरा देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने की जयंती मना रहा है वहीं दूसरी तरफ यह झूला भी 75 वर्ष पूरा कर चुका है.
बांके बिहारी जी को साल 1947 से पहले कभी लकड़ी तो कभी पेड़ पत्तों से बनाए हुए झूले में विराजमान किया जाता था. बांके बिहारी के भक्त सेठ हरगुलाल ने भगवान के लिए इस बेशकीमती झूले का निर्माण करवाया था. सेठ हरगुलाल के भतीजे राधेश्याम बेरीवाला के अनुसार बांके बिहारी जी का झूला बनाने से पहले बरसाना राधा रानी मंदिर का झूला बनाने का ऑर्डर दिया गया था. वहां करीब 7 से 8 फीट ऊंचा और 12 फीट चौड़ाई का झूला बनवाया गया. उस झूले को देखकर यह झूला बनवाया गया. इसकी ऊंचाई 14 फीट और चौड़ाई 35 फीट है. यह झूला 125 भागों में बना है. इसे लगाने में करीब 5 घंटे का समय लगता है.
रिपोर्ट : राघवेंद्र गहलोत