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हरियाली तीज पर सोने-चांदी के झूले में दर्शन देंगे बांके बिहारी, जानें मंदिर प्रशासन कैसी कर रहा तैयारी

मंदिर सुबह करीब 7:45 बजे खुल जाएगा और दोपहर 2:00 बजे तक खुला रहेगा. शाम को 5:00 से 11 बजे तक श्रद्धालु बांके बिहारी का दर्शन कर सकेंगे. हरियाली तीज पर श्रद्धालुओं के काफी संख्या में पहुंचने की संभावना को देखते हुए मंदिर और जिला प्रशासन ने कड़े इंतजाम की रणनीति बना ली है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 29, 2022 4:26 PM

Mathura News: धर्मनगरी में भक्तजन अपने आराध्य बांके बिहारी के हरियाली तीज पर विशेष दर्शन कर सकेंगे. हरियाली तीज पर बांके बिहारी को सोने और चांदी के बने हुए झूले पर विराजमान किया जाएगा. बांके बिहारी साल में सिर्फ एक बार हरियाली तीज पर ही झूले पर विराजमान होते हैं. इसी दिन मंदिर सुबह करीब 7:45 बजे खुल जाएगा और दोपहर 2:00 बजे तक खुला रहेगा. शाम को 5:00 से 11 बजे तक श्रद्धालु बांके बिहारी का दर्शन कर सकेंगे. हरियाली तीज पर श्रद्धालुओं के काफी संख्या में पहुंचने की संभावना को देखते हुए मंदिर और जिला प्रशासन ने कड़े इंतजाम की रणनीति बना ली है.

हिंडोले में विराजमान

सावन के महीने में झूला उत्सव का एक अलग ही महत्व होता है. ऐसे में ब्रज क्षेत्र में इस उत्सव को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि भगवान बांके बिहारी राधा रानी के साथ सावन में झूला झूलते थे जिसको देखते हुए ब्रज के अनेक मंदिरों में यह उत्सव शुरू हो जाता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ वृंदावन में स्थित बांके बिहारी के मंदिर में हरियाली तीज के दिन खास रूप से इस उत्सव को मनाया जाता है. बांके बिहारी को सोने व चांदी से बने हुए हिंडोले में विराजमान किया जाता है.

गोपियां कान्हा को घेवर का भोग लगाती हैं…

आने वाली 31 जुलाई को हरियाली तीज का उत्सव है ऐसे में साल में सिर्फ एक बार बांके बिहारी झूले पर विराजमान होते हैं. इस बार भी बांके बिहारी को 22 किलो सोने और 1000 किलो चांदी से बने झूले पर विराजमान किया जाएगा. इस दिन भक्तजन अपने आराध्य को सुबह 7:45 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक और शाम 5:00 बजे से रात 11:00 बजे तक निहार सकेंगे. वहीं इस दिन हरियाली तीज के चलते गोपियां कान्हा को घेवर का भोग लगाती हैं और मल्हार गाती हैं .

प्रथा 1947 से शुरू हुई

हरियाली तीज पर बांके बिहारी को सोने चांदी के झूले में बैठाने की प्रथा भारत छोड़ो आंदोलन के समय 1947 से शुरु हुई थी. वाराणसी के कारीगर छोटेलाल और ललन भाई ने 20 कारीगरों के साथ मिलकर 5 साल में झूले का निर्माण किया था और झूले को उस समय बनाने में आने वाला खर्च 25 लाख रुपए था. हरियाली तीज पर विशेष दर्शन की वजह से जिला प्रशासन और मंदिर प्रशासन को भक्तों के अधिक संख्या में आने की संभावना है.

सामान लेकर मंदिर में ना आएं

ऐसे में मंदिर और जिला प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हैं. मंदिर के प्रवेश मार्ग से एंट्री के लिए एक तरफ का रास्ता खोला गया है. वहीं प्रवेश मार्ग पर क्लॉक रूम बनाया गया है जहां पर श्रद्धालु अपने जूते आदि सामान को जमा कर सकेंगे. मंदिर में आम दिनों में दोनों गेटों से एंट्री होती है लेकिन हरियाली तीज के दिन एक गेट से श्रद्धालु एंट्री करेंगे और दूसरे गेट से बाहर निकलेंगे. वही मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वह दर्शन के समय कोई भी कीमती आभूषण व सामान लेकर मंदिर में ना आएं.

रिपोर्ट : राघवेंद्र गहलोत

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