Bareilly News: बरेली में धूल और धुएं के मिश्रण ने हवा को जहरीला बना दिया है. इसको लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) ने चिंता जताई है. इधर लोगों को सांस लेने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. एसएचआरसी ने जिलाधिकारी बरेली को नोटिस भेज रिपोर्ट मांगी है. एसएचआरसी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट गजेंद्र सिंह यादव ने बरेली के बढ़ते प्रदूषण को लेकर शिकायत की थी. इसके बाद एसएचआरसी गंभीर हुआ. मगर, बरेली का प्रदूषण कम नहीं हो रहा है.
रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआई (AQI) 179 है, जो काफी गंभीर श्रेणी में है. हाईकोर्ट के एडवोकेट गजेंद्र सिंह यादव ने 29 नवंबर को एसएचआरसी में शिकायत की थी. उस दिन बरेली का एक्यूआई 164 था, जबकि सिविल लाइंस का 156,राजेंद्र नगर 170, और सुभाषनगर का 165 था. इसी को लेकर शिकायत की थी.
एडवोकेट गजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि, एसएचआरसी ने चिंता जताई है. एसएचआरसी ने डीएम बरेली को नोटिस भेज रिपोर्ट मांगी है. बरेली में सीवर, टूटी सड़क और ओवरब्रिज निर्माण के चलते जगह-जगह खुदाई चल रही है. इससे सुबह से रात तक शहर की सड़कों से धूल उड़ती रहती है. बरेली में धूल और धुएं के मिश्रण से सांस लेना मुश्किल हो गया है.
बरेली का एक्यूआई लगातार बढ़ रहा है. रविवार को एक्यूआई 179 हो गया है, जबकि सुबह 10 बजे शहर का एक्यूआई 247 था, जो काफी चिंता जनक है. शहर के सिविल लाइंस का एक्यूआई 166, राजेंद्रनगर का एक्यूआई 195, और सुभाषनगर का एक्यूआई 175 हो गया है. इसके साथ ही पीएम 2.5 सिविल लाइंस का 85, राजेंद्र नगर का 141, और सुभाषनगर का 102 है, जो काफी बताया जा रहा है.
इसके साथ ही पीएम 10 सिविल लाइंस का 87, राजेंद्र नगर का 275, और सुभाषनगर का 165 हो गया है.बरेली शहर की हवा का एक्यूआई बढ़ने से हवा जहरीली हो गई है.अगर, यहीं हालत रही तो बरेली का एक्यूआई नोएडा और दिल्ली से भी खतरनाक हो जाएगा.
शहर का एक्यूआई बढ़ने से बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है. ऐसे में घरों से निकलने में एहतियात बरतने की जरूरत है. लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है. डॉक्टर मास्क लगाकर घर से निकलने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि, बरेली में सांस के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.
एक्यूआई बढ़ने से सांस की बीमारी और अस्थमा हो सकता है. इसलिए फेफड़ों की मजबूती के लिए भुजंगासन यानी कोबरा योग करें. इस योग के अभ्यास से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं. धनुरासन योग भी अच्छा है. इससे फेफड़े साफ होते हैं. सुखांगसन योग से फेफड़ों के कार्य को बढ़ावा मिलता है.
अगर किसी भी शहर का 0 से 50 AQI है, तो यह बहुत अच्छी बात है. इससे सेहत पर कम असर होता है. 51-100 AQI भी ठीक है, लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है. 101 के बाद ठीक नहीं है. 101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है. 201-300 AQI काफी खराब है.
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लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत होना तय है. 301-400 AQI बहुत खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा होता है. 401-500 AQI सबसे अधिक खतरनाक है.इंसान की सेहत पर सबसे अधिक खराब होती है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली