Bareilly News: बरेली, पूर्वोत्तर रेलवे (NER) की इज्जतनगर स्टेशन पर सय्यद नन्हें शाह का मजार (दरगाह) है. इतिहासकारों ने बताया कि 1564 ईसवी में सय्यद नन्हें शाह मियां का इंतकाल होने के बाद दरगाह बनी थी. इसके बाद मुल्क (देश) में गोरों की हुकूमत आई. जिसके चलते वर्ष 1875 में ब्रिटिश हुकूमत ने कोलकाता, दिल्ली और इलाहाबाद से पहाड़ तक जाने के लिए ट्रेन चलाने का फैसला लिया.
पहाड़ से रेल लाइन (रेल ट्रैक ) डालने का काम शुरू किया गया. वर्ष 1938 में अंग्रेजों ने इज्जतनगर रेलवे स्टेशन पर रेल ट्रैक डलवाना शुरू किया. उन्होंने दरगाह को बचाने के लिए रेल पटरी को कुछ दूरी से डलवाया था, लेकिन अब इज्जतनगर रेल मंडल के अफसरों ने दरगाह से मजार हटाने का फैसला लिया है. इसको लेकर नोटिस चस्पा किया गया हैं. जिसमें 28 दिसंबर तक मजार हटाने की बात कही गई है. जिसके चलते मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है. इसके साथ ही हिंदू संगठनों ने समर्थन किया है.
स्टेशन पर स्थित मज़ार को शहीद करने के नोटिस के बाद एक शिष्टमंडल ने आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां से मुलाकात की. मौलाना ने कहा कि नोटिस चस्पा कर शहर की फ़िज़ा को ख़राब करने की साजिश की जा रही है. स्टेशन बाद में बनी थी. यह दरगाह पहले की है.
मौलाना ने डीएम से फोन पर बात कर पूरी स्थिति बताई. इसके साथ ही डॉ. नफीस खान और मुहम्मद नदीम खान को पूरी स्थिति से वाकिफ कराने को भेजा. उन्होंने डीएम को पूरा मामला बताकर मज़ार को शहीद करने के नोटिस को रोकने की मांग की. मौलाना गुरुवार को खुद इज़्ज़तनगर रेलवे स्टेशन स्थित दरगाह पर जायेंगे. इसके साथ ही रेलवे और ज़िले के प्रशासन से बात करने का भरोसा दिलाया. उन्होंने दरगाह को किसी भी हालत मे शहीद न होने देने की बात कही.
अंग्रेजों ने 1853 में ही देश में ट्रेन दौड़ा दी थी. इसके कुछ वर्ष बाद पहाड़ से भी ट्रेन चलनी शुरू हो गई. लेकिन इज्जतनगर रेल मंडल 14 अप्रैल, 1952 को बना था. पुरानी दरगाह हटाने के मामले में बुधवार को संगठन सामने आ गए हैं. मजार को हटाने के समर्थन में हिंदू संगठन आ गए हैं. लेकिन विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने ज्ञापन दिया. इसके साथ ही अन्य संगठनों ने भी ज्ञापन दिया है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली