UP Chunav 2022: इधर चाचा-भतीजे का गठबंधन है अधर में, उधर सपा-प्रसपा के समर्थक आपस में ही रहे उलझ

ऐसा नहीं है कि राजनीतिक रसूख के लिए सिर्फ समाजवादी पार्टी (सपा) सुप्रीमो अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) प्रमुख शिवपाल यादव में ही ठनी है. मामला जमीनी स्तर पर भी देखा जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 24, 2021 6:47 AM
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Varanasi News : उत्तर प्रदेश में होने वाले साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही सीएम सिटी गोरखपुर में चाचा शिवपाल सिंह यादव और भतीजे अखिलेश यादव के समर्थक आमने-सामने आ गए हैं. मामला चौरी-चौरा विधानसभा का है.

ऐसा नहीं है कि राजनीतिक रसूख के लिए सिर्फ समाजवादी पार्टी (सपा) सुप्रीमो अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) प्रमुख शिवपाल यादव में ही ठनी है. मामला जमीनी स्तर पर भी देखा जा रहा है. दरअसल, गोरखपुर में अपनी सामाजिक परिवर्तन यात्रा लेकर आए शिवपाल यादव ने 12 नवंबर को चौरी-चौरा विधानसभा सीट से अमरीश यादव को प्रसपा का उम्मीदवार घोषित किया है. इसके बाद से सपा के चौरी चौरा विधानसभा के नेताओं में खलबली मच गई. ताजातरीन मामला चौरी-चौरा के सपा नेता काली शंकर यादव का है. काली शंकर यादव ने शिवपाल यादव पर तंज कसते हुए कहा कि 100 सीट मांगने वाले शिवपाल यादव की दो सीट जीतने की भी हैसियत नहीं है और शिवपाल यादव अखिलेश यादव को ब्लैकमेल कर रहे हैं.

वहीं, इस जुबानी हमले के बाद प्रसपा कि नेता भी कहां पीछे रहने वाले थे. इसके बाद तो प्रसपा के गोरखपुर जिलाध्यक्ष श्याम नारायण यादव ने भी नसीहत देते हुए भाषा की मर्यादा भूलकर कहा ऐसे भंगी नेताओं को भी टिप्पणी नहीं करना चाहिए. काली शंकर यादव सपा के नेता है ही नहीं और अखिलेश यादव को उनके ऊपर कार्रवाई करनी चाहिए ऐसे नेताओं पर लगाम लगाना चाहिए.

सीएम सिटी गोरखपुर में सपा-प्रसपा के गठबंधन से पहले ही कार्यकर्ताओं के बीच में पड़ी दरार अब उभर कर सामने आ गई है. चौरी-चौरा सीट से प्रसपा के उम्मीदवार अमरीश यादव की घोषणा के बाद यहां पर सपा के उम्मीदवारों के बीच में अब खलबली मच गई है. जिसको लेकर के सपा से उम्मीदवारी पेश कर रहे काली शंकर यादव ने शिवपाल यादव पर निशाना साधा. जिसका जवाब देने के लिए खुद प्रसपा के जिलाध्यक्ष सामने आए. अब देखने वाली बात यह है कि 2022 विधानसभा चुनाव में अगर गठबंधन हो भी जाता है तो चाचा भतीजा के समर्थकों के बीच में कितना गठजोड़ हो पाता है. कहीं ना कहीं सपा प्रसपा के गठबंधन से पहले ही अपने नेताओं को साधना और एक साथ लाना उनके सामने एक चुनौती साबित होने लगे है.

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रिपोर्ट : अभिषेक मिश्र

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