UP में बड़ा फर्जीवाड़ा! कोरोना संक्रमण से मरे हुए लोगों को लगाया गया रेमडेसिविर इंजेक्शन ? जानें पूरा मामला
Big fraud in UP Remdesivir injection : सेंट्रल यूपी के सबसे बड़े हैलट हॉस्पिटल (लाला लाजपत राय चिकित्सालय) के न्यूरो साइंसेज विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है. यहां के कोविड वार्ड में तैनात नर्सिंग स्टाफ ने ही यह फर्जीवाड़ा किया है. नर्सिंग स्टाफ द्वारा मुर्दों के नाम पर कई दिनों तक रेमडेसिविर इंजेक्शन स्टोर से निकलवाया गया.
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हैलट में ‘मृतकों’ को लगा दिए रेमडेसिविर इंजेक्शन
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कोविड मरीज की मौत के बाद स्टोर से जारी कराए गए उसके नाम पर इंजेक्शन
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हैलट हॉस्पिटल (लाला लाजपत राय चिकित्सालय) के न्यूरो साइंसेज विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा
कानपुर : सेंट्रल यूपी के सबसे बड़े हैलट हॉस्पिटल (लाला लाजपत राय चिकित्सालय) के न्यूरो साइंसेज विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है. यहां के कोविड वार्ड में तैनात नर्सिंग स्टाफ ने ही यह फर्जीवाड़ा किया है. नर्सिंग स्टाफ द्वारा मुर्दों के नाम पर कई दिनों तक रेमडेसिविर इंजेक्शन स्टोर से निकलवाया गया. पता चला है कि ये इंजेक्शन डॉक्टरों की ओर से जारी पर्चे पर ये निकाले गए थे. आशंका है कि इन्हें बाजार में महंगे दामों पर बेच दिया गया है. न्यूरो साइंसेज विभाग में रिकॉर्ड जांचने पर इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है.
कोरोना की सेकंड वेब के मद्देनज़र सभी सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई की जा रही है. इस इंजेक्शन को कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों को डॉक्टर की अनुमति पर ही लगाया जा सकता है. नर्सिंग स्टाफ को ये इंजेक्शन और अन्य दवाएं डॉक्टर के लिखने पर स्टोर से मिलती हैं. मालूम हो कि अप्रैल माह में क्राइम ब्रांच की टीम ने हैलट के दो कर्मचारियों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते रंगेहाथ दबोच लिया था. कालाबाजारी में हैलट के वार्ड बॉय का नाम सामने आने के बाद हैलट के न्यूरो साइंसेज विभाग के रिकॉर्ड खंगाले गए.
चौंकाने वाले तथ्य सामने आए : डॉक्टरों के हस्ताक्षर वाले पर्चों के जरिये नर्सिंग स्टाफ व वार्ड बॉय ने हैलट के स्टोर से कोरोना से मृत लोगों के नाम से भी रेमडेसिविर इंजेक्शन निकलवाए थे. एक कर्मचारी का तो यहां तक कहना था कि अगर हैलट के सभी कोविड वार्ड के रिकॉर्ड खंगाल लिए जाएं तो फर्जीवाडे़ में कई और कर्मचारियों के नाम सामने आएंगे.
ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
कोरोना की दूसरी लहर में न्यूरो साइंसेज विभाग में लेवल थ्री का अस्पताल बनाया गया है. यहां भर्ती संक्रमित मरीजों की देखरेख में लगे डॉक्टर प्रतिदिन दवाओं का पर्चा (स्टोर का मांगपत्र) बनाकर देते हैं. इस पर्चे पर ही नर्सिंग स्टाफ या वार्ड बॉय स्टोर से दवा लेकर आते हैं. मांगपत्र में मरीज के नाम, भर्ती होने की तारीख, आईपी नंबर के साथ डॉक्टर भी का नाम लिखा होता है. दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि नर्सिंग स्टाफ ने कोविड मरीज की मौत के बाद भी स्टोर से रेमडेसिविर निकलवाई.
मरीज की मौत के छह दिन बाद तक मंगाए इंजेक्शन
-23 अप्रैल को हैलट में भर्ती विनीता ठाकुर की 26 अप्रैल को मौत हो गई. उनके नाम पर दो मई तक रोज एक रेमडेसिविर स्टाफ निकालता रहा. छह दिनों तक इंजेक्शन निकाले जाते रहे।
-19 अप्रैल को भर्ती निर्मला खरे की मौत 22 अप्रैल को हो गई. 26 अप्रैल तक उनके नाम पर इंजेक्शन निकाले गए.
पारदर्शिता पर सवाल : सवाल उठता है कि नर्सिंग स्टाफ ने यहां भर्ती मरीजों को क्या रेमडेसिविर शत-प्रतिशत लगाया होगा. वजह यह कि लेवल थ्री अस्पताल में तीमारदारों को जाने की मनाही है.
मरीजों के लिए प्रतिदिन दवाओं को इंडेंट कराया जाता है। इसके बाद भी यदि मरीज की मौत के बाद उसके नाम पर इंजेक्शन आवंटित किए गए हैं तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी.
– डॉ. ज्योति सक्सेना, प्रमुख चिकित्साधीक्षक, हैलट
Posted By : Amitabh Kumar