Bikru Kand: खुशी दुबे की जमानत कोर्ट में दाखिल, जल्द जारी होगा रिहाई का परवाना

खुशी दुबे की जमानत का सत्यापन होने के बाद ही कोर्ट से रिहाई का परवाना जारी होगा. उसके बाद ही उसकी जेल से रिहाई होगी. फिलहाल तब तक उसे जेल में ही रहना होगा. अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि स्पेशल पॉक्सो कोर्ट की तरफ से सशर्त जमानत मंजूर की गई है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 10, 2023 12:57 PM

Kanpur: प्रदेश के कानपुर में 2-3 जुलाई 2020 को चौबेपुर थाना क्षेत्र में हुए बिकरू कांड की आरोपित खुशी दुबे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अब जल्द बाहर आएगी. खुशी के अधिवक्ता ओर से सेशन कोर्ट व किशोर न्याय बोर्ड में जमानतें दाखिल कर दी गई हैं. जमानतों का सत्यापन होने के बाद उसकी जल्द ही रिहाई हो जाएगी.

फर्जी सिम मामले में मिल चुकी है पहले ही जमानत

खुशी दुबे पर बिकरु कांड में नाम होने के साथ ही फर्जी सिम इस्तेमाल करने का भी मामला दर्ज हुआ था, जो किशोर न्याय बोर्ड में चल रहा था. फर्जी सिम मामले में चार महीने पहले ही खुशी को जमानत मिल चुकी है. लेकिन, जमानत अभी तक कोर्ट में दाखिल नहीं की गई थी. 4 जनवरी को खुशी दुबे को सुप्रीम कोर्ट ने शशर्त जमानत दे दी है. खुशी के मुख्य मामले की सुनवाई स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट के कोर्ट में चल रही है.

डेढ़ लाख की दो जमानत की गयी दाखिल

खुशी के परिवार की ओर से डेढ़-डेढ़ लाख की दो जमानतों को कोर्ट में दाखिल किया गया है. इसी के साथ किशोर न्याय बोर्ड में भी 35-35 हजार की दो जमानतें दाखिल की गईं. यह जानकारी खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने दी. उन्होंने बताया कि स्पेशल जज पॉक्सो कोर्ट शैलेन्द्र कुमार वर्मा ने एक सप्ताह में जमानतों का सत्यापन करके रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है.

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बता दें कि जमानत का सत्यापन होने के बाद ही कोर्ट से रिहाई का परवाना जारी होगा. उसके बाद ही खुशी की जेल से रिहाई होगी. फिलहाल तब तक उसे जेल में ही रहना होगा. अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि स्पेशल पॉक्सो कोर्ट की तरफ से सशर्त जमानत मंजूर की गई है, इसके लिए छह बातों को ध्यान में रखना होगा.

इन शर्तों में मिली जमानत

कोर्ट ने खुशी दुबे को जमानत शर्तों के साथ दी है. इसमें कहा गया है कि सप्ताह के पहले दिन चौबेपुर थाने में हाजिरी देनी होगी. जमानत के साथ ही पिता को शर्तें मानने का शपथपत्र देना होगा. कोर्ट में प्रत्येक तिथि पर उसे उपस्थित होना होगा. साक्ष्य आने पर उस दिन स्थगन नहीं मांगेगी. मामले के विचारण में पूरी तरह सहयोग करना होगा. साथ ही वह जमानत का दुरुपयोग, साक्ष्यों से छेड़छाड़ व गवाहों को प्रभावित नहीं करेगी.

रिपोर्ट: आयुष तिवारी

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