बिरजू महाराज ने 16 वर्ष की उम्र में दी थी पहली प्रस्तुति, BHU से मिल चुकी है डॉक्टरेट की मानद उपाधि
Birju Maharaj Passed Away: भारतीय कथक, नर्तक और शास्त्रीय गायक पंडित बिरजू महाराज का 83 साल की उम्र में निधन हो गया है. बिरजू महाराज को अपने जीवन में कई सम्मान और उपाधि मिल चुकी हैं.
Birju Maharaj Passed Away: भारतीय कथक, नर्तक और शास्त्रीय गायक पंडित बिरजू महाराज का 83 साल की उम्र में निधन हो गया है. पद्म विभूषण से सम्मानित बिरजू महाराज के निधन की खबर उनके परिजनों ने दी. रविवार-सोमवार की दरमियानी रात दिल्ली के एक हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली. बिरजू महाराज के निधन की खबर से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है.
बिरजू महाराज ने उपचार के दौरान ली अंतिम सांस
महान कथक नृतक बिरजू महाराज के निधन पर उनकी पोती रागिनी महाराज ने बताया कि दिल्ली में पिछले एक महीने से उनका इलाज चल रहा था. बीती रात उन्होंने रागिनी के हाथों से खाना भी खाया था, उन्होंने बिरजू महाराज को कॉफी भी पिलाई थी. इसी बीच उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई. इसके बाद उन्हें अस्पताल ले गए जहां, उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली.
बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को हुआ था
लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को हुआ था. उनका पूरा नाम पंडित बृजमोहन मिश्र है. उनके पिता जगन्नाथ महाराज भी एक प्रसिद्ध कथक नृत्यक थे. उनका बचपन रायपुर और पटियाला में व्यतीत हुआ है. यहां से संगीत और नर्तक कला में निपुण होने के बाद उन्होंने दिल्ली का रुख किया.
बिरजू महाराज ने 16 वर्ष की उम्र में दी पहली प्रस्तुति
आधुनिक दौर में भी शास्त्रीय नृत्य को एक नई पहचान दिलाने वाले बिरजू महाराज ने महज 16 वर्ष की उम्र में अपनी पहली प्रस्तुति दी, और धीरे-धीरे वह कत्थक में निपुण होते चले गए. बिरजू महाराज ने 23 वर्ष की आयु में ही नई दिल्ली के संगीत भारती में नृत्य की शिक्षा देना शुरू कर दिया था. इसके बाद में उन्होंने भारतीय कला केंद्र में सिखाना शुरू किया. फिर वह कथक केंद्र में संकाय के अध्यक्ष और निदेशक रहे. इसके बाद उन्होंने दिल्ली में कलाश्रम नाम से एक नाट्य विद्यालय खोला, जहां लोगों को कत्थक की शिक्षा देनी शुरू की.
बीएचयू की मानद उपाधि से हो चुके हैं सम्मानित
कत्थक को एक नई पह्चान देने वाले बिरजू महाराज को अपने जीवन में कई सम्मान और उपाधि मिल चुकी हैं. महाराज को पदम विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान जैसे पुरस्कार भी मिल चुके हैं. इसके अलावा उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया जा चुका है.
2016 में मिला था फिल्मफेयर पुरस्कार
बिरजू महाराज को साल 2002 में लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कारों के सिलसिला यहीं नहीं थमा, इसके बाद प्रतिष्ठित संगम कला पुरस्कार, भरत मुनि सम्मान, सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, इसके अलावा 2016 में उन्हें फिल्म बाजीराव मस्तानी में ‘मोहे रंग दो लाल’ गाने पर नृत्य निर्देशन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुका है.