बाबरी विध्वंस केस में बीजेपी के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शुक्रवार को अपना बयान दर्ज कराया. इस मामले की सुनवाई लखनऊ सीबीआई कोर्ट में हुई. जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लालकृष्ण आडवाणी का बयान दर्ज कराया गया.इससे पहले गुरूवार को इसी मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने अपना बयान दर्ज कराया था. विशेष सीबीआई अदालत बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत 32 आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है.
इस मामले में दर्ज कराए अपने बयान में मुरली मनोहर जोशी ने खुद को निर्दोष बताते हुए केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से फंसाने का आरोप लगाया था.जज ने जोशी को कई अखबारों का संदर्भ दिया था जिनमें राम जन्म भूमि के बारे में पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और शिव सेना नेता बाला साहब ठाकरे के कथित बयान छपे थे.
शुक्रवार को अपना बयान दर्ज कराने से पहले आडवाणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले. गुरूवार को करीब आधे घंटे की इस मुलाकात में बाबरी मामले पर अहम वार्ता होने की बात चर्चे में है. बता दें कि अदालत को 31 अगस्त तक बाबरी मामले को निस्तारित करना है.जिस सिलसिले में सारे बयान दर्ज किए जा रहे हैं. इस मामले में कुल 32 आरोपी बनाए गए हैं. सभी आरोपियों के बयान दर्ज हो जाने के बाद उन्हें अपने बचाव में साक्ष्य पेश करने का मौका दिया जाएगा.
इससे पहले यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और बीजेपी नेता उमा भारती के बयान दर्ज हो चुके हैं. गुरूवार को दर्ज कराए बयान के दौरान विशेष न्यायाधीश एस.के. यादव ने सीबीआई द्वारा पेश किये गये एक गवाह के बयान का जिक्र करते हुए जोशी से कहा कि 25 जून 1991 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कल्याण सिंह अगले ही अपने मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों के साथ अयोध्या स्थित राम जन्म भूमि/बाबरी मस्जिद स्थल पर पहुंचे और ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर यहीं बनाएंगे’ का जाप किया. अदालत द्वारा इस बारे में जोशी से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह सच है कि कल्याण सिंह अयोध्या गये थे लेकिन बाकी की बातें गलत हैं. अदालत ने बयान दर्ज करने की प्रक्रिया में जोशी से करीब 1050 सवाल किये और उन्होंने हर सवाल पर इनकार किये.
विशेष अदालत इस मामले की सुनवाई 31 अगस्त तक पूरी करने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में प्रकरण में रोजाना कार्यवाही कर रही है. गौरतलब है कि अयोध्या में छह दिसम्बर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था. उनकी आस्था थी कि किसी प्राचीन मंदिर को ढहाकर वह मस्जिद बनायी गयी थी. आडवाणी और जोशी उस वक्त राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता थे.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya