BJP सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, इतिहास विषय में बंटवारे का कारण पढ़वाने की अपील की

बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पत्र में पीएम मोदी से अपील की है, ‘मेरे नजरिये से विभाजन का दौर दुनिया सबसे बड़ी वीभत्स घटनाओं में से एक है. ऐसा भयानक दौर भारत के इतिहास का सबसे बड़ा विचारणीय विषय है. इस 1947 में हुए बंटवारे को इतिहास के विषय में कोर्स के तौर पर जोड़कर बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए.’

By Prabhat Khabar News Desk | August 16, 2022 2:18 PM

Lucknow News: भारतीय जनता पार्टी के यूपी से राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर देश के विभाजन का अध्याय पाठ्यक्रम में शामिल करने की अपील की है. उन्होंने 15 अगस्त को यह पत्र पीएम मोदी को भेजा है. उन्होंने 14 अगस्त 1947 को हुए देश के विभाजन के भयावह पहलू को आज के कोर्स में शामिल करने की इच्छा जताई है.

बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पत्र में पीएम मोदी से अपील की है, ‘मेरे नजरिये से विभाजन का दौर दुनिया सबसे बड़ी वीभत्स घटनाओं में से एक है. ऐसा भयानक दौर भारत के इतिहास का सबसे बड़ा विचारणीय विषय है. ऐसे में इस 1947 में हुए बंटवारे को इतिहास के विषय में कोर्स के तौर पर जोड़कर बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए.’ बीजेपी सांसद ने अपने पत्र में पीएम मोदी का जिक्र करते हुए लिखा, ‘आपने स्वयं कहा है कि विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता. आपने कहा कि हर वर्ष 14 अगस्त का दिन हमें भेदभाव के जहर का अर्थ बताता है. साथ ही, राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की शक्ति भी देता है.’

उन्होंने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया है कि भारतीय जनता को विभाजन के पीछे का सच जानने की जरूरत है. उन्होंने अपने पत्र में आगे लिखा है, ‘हमारे देश की अधिकतर आबादी देश को आजादी मिलने के बाद पैदा हुई है. देश का विभाजन क्यों हुआ? बंटवारे के पीछे क्या पृष्ठभूमि रही है? विभाजन का दंश झेलने वालों ने क्या-क्या नहीं सहन किया? इस संबंध में कोई भी तथ्यपरक लेख आदि जो वास्तविक सूचना दे सके, उपलब्ध नहीं है. इसीलिए इस विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता है.’ दरअसल, पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 14 अगस्त को विभाजन की विभिषिका का दिन घोषित किया था. उन्होंने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा था कि इससे जनता को 1947 के बंटवारे के दंश को झेलने वालों के लिए याद किया जाएगा.

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