23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Millets: अन्नदाताओं को जोड़ने के लिए भाजपा की ‘मोटे अनाज’ की सियासत, किसान मोर्चा ने बनाया ये खास प्लान…

भाजपा रणनीतिकारों के मुताबिक मोटे अनाज के प्रचार-प्रसार से जुड़े कार्यक्रमों के जरिए पार्टी को अन्नदाताओं के बीच अपनी पैठ मजबूत करने का मौका मिलेगा. किसान जितना मोटे अनाज के उत्पादन से जुड़कर मुनाफा कमाएगा, उतना पार्टी को इसका सियासी लाभ मिलेगा.

Lucknow: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण के बजट में मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए 2,200 करोड़ के फंड की घोषणा के साथ ही यूपी में भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बनाने में जुट गई है. एक तरफ योगी सरकार जहां पहले से ही इसे प्रमोट करने में लगी है, वहीं बुधवार को वित्तीय वर्ष 2023-24 के पेश किए गए केंद्रीय बजट के बाद पार्टी के किसान मोर्चा ने इसे लेकर कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय किया है.

भाजपा रणनीतिकारों के मुताबिक इन कार्यक्रमों के जरिए पार्टी को ‘मिशन 2024’ के मद्देनजर अन्नदाताओं के बीच अपनी पैठ मजबूत करने का मौका मिलेगा. किसान जितना मोटे अनाज के उत्पादन से जुड़कर मुनाफा कमाएगा, उतना पार्टी को इसका सियासी लाभ मिलेगा. इस तरह संगठन और सरकार दोनों इस मामले को अपने स्तर पर धार देते नजर आएंगे.

मोटे अनाज की बिक्री के लिए स्थापित किए जाएंगे केंद्र

दरअसल उत्तर प्रदेश में पहले मोटे अनाजों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती थी. लेकिन, बाद में यह सिमटती चली गई. अब इसकी खेती के साथ-साथ प्रसंस्करण और उपभोग को दोबारा मिशन मोड में लाने की प्लानिंग तैयार की गई है. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के मुताबिक यूपी में मोटे अनाज की फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए पहल की जा रही है. उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि कर बिक्री की व्यवस्था के अंतर्गत 55 मोटा अनाज प्रसंस्करण और पैकिंग के केंद्र स्थापित किये जाएंगे. इससे 72,500 किसान प्रतिवर्ष लाभान्वित होंगे. इसके अलावा जन सामान्य को आहार में मोटे अनाज को शामिल करने के लिये भी जागरूक किया जा रहा है.

यूपी में मोटे अनाज का उत्पादन

उत्तर प्रदेश में 2020-21 में 83 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मोटा अनाज बोया गया था. इसमें 9.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में केवल बाजरा बोया गया था. शेष क्षेत्रफल में ज्वार, कोदो, सावां, मड़वा तथा काकून बोया गया था. इस प्रकार उत्तर प्रदेश मोटा अनाज के लिये अपार संभावनाओं से भरा हुआ है. केंद्र सरकार के बजट के बाद इसमें और बेहतर होने की उम्मीद है.

एमएसपी पर खरीदा जा रहा मोटा अनाज

कृषि मंत्री के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मोटे अनाज को लेकर पूरे देश में जागरूकता बढ़ी है. प्रधानमंत्री की प्रेरणा से ही वर्ष 2018 में मिलेट्स को पोषक अनाज के रूप में अधिसूचित किया गया तथा इसके उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास लगातार किये जा रहे हैं. इसके अलावा केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018-19 में खाद्य पोषण और सुरक्षा के लिये मिलेट्स को खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत न्यूट्री अनाज उपमिशन के रूप में शामिल किया गया. वर्तमान में भारत सरकार मोटे अनाजों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद रही है तथा उसके मूल्य में लगातार वृद्धि हो रही है.

Also Read: Budget 2023: मोटे अनाज पर 2200 करोड़ के फंड से जगी UP की उम्मीदें, योगी सरकार दे रही बढ़ावा, G-20 में प्रमोशन
मिशन 2024 में होगा मददगार

इसके मद्देनजर योगी सरकार और भाजपा संगठन दोनों ने मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए लगातार ऐसे आयोजन करने का फैसला किया है. भाजपा का मानना है कि किसानों से जुड़ने का ये कार्यक्रम 2024 में पार्टी के लिए माहौल बनाने का काम करेगा. पार्टी के किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह के मुताबिक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता होने के नाते जब भी हम लोग संपर्क करेंगे, लोगों से संवाद करेंगे, लोगों से मिलेंगे उसका 2024 में फायदा भी मिलेगा.

हर जनपद में कार्यक्रमों का होगा आयोजन

कामेश्वर सिंह के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 75 जिले हैं. इस महीने हर जिला मुख्यालय में मोटे अनाज की उपयोगिता, संवर्धन प्रसार के लिए संगोष्ठी और सहभोज होगा. जी-20 की अध्यक्षता मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित कराया है. भारत मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक है. भारत में सालाना 170 लाख टन मोटे अनाज का उत्पादन हो रहा है. विश्व में मोटे अनाज का 20 प्रतिशत उत्पादन भारत से है. मोटे अनाज के माध्यम से ही दुनिया में खाद्यान्न की आपूर्ति संभव हो सकती है. मोटे अनाज से ही मनुष्य स्वस्थ रह सकता है, कम लागत में अधिक उपज होगी.


किसानों को जोड़ा जाएगा कार्यक्रम से

कामेश्वर सिंह ने कहा कि जहां प्राकृतिक संसाधन का अभाव है, वहां मोटे अनाज की उपज खूब होती है. इसे देखते हुए इसकी उपयोगिता, संवर्धन और प्रसार के लिए हम कार्यक्रम करेंगे. मोटे अनाज से खाद्यान्न की आपूर्ति की जा सकती है, मनुष्य निरोग रह सकता है. यह भारत की प्राचीन व्यवस्था है. कामेश्वर सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम से किसान जुड़ेगा, उसकी कम लागत में अधिक फसल होगी, उसके लिए बाजार उपलब्ध होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें