बीजेपी की निगाह सपा-बसपा के ओबीसी नेताओं पर, लोकसभा चुनाव से पहले जानें क्‍या बनाई रणनीत‍ि

केंद्र में सरकार बनाने के लिए यूपी में जीत बहुत जरूरी है. लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने 70+ और 2019 लोकसभा चुनाव में 60+ सीट जीती थीं. इसके बाद ही केंद्र में सरकार बनी थी. भाजपा ने 2024 चुनाव में 70+ सीट जीत का लक्ष्य रखा है. इसलिए भाजपा में पिछड़े नेताओं को शामिल करने की कोशिशें शुरू हो गई है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 23, 2022 6:23 PM

UP Political News: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लोकसभा चुनाव 2024 को जीतकर हैट्रिक लगाने की कोशिश में है. पार्टी हाईकमान से लेकर बूथ कार्यकर्ता तक जीत की जिद्दोजहद में लगा है. मगर, यह कोशिश ओबीसी (पिछड़ों) मतदाताओं के साथ आने के बाद ही पूरी हो सकती है क्योंकि केंद्र में सरकार बनाने के लिए यूपी में जीत बहुत जरूरी है. लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने 70+ और 2019 लोकसभा चुनाव में 60+ सीट जीती थीं. इसके बाद ही केंद्र में सरकार बनी थी. भाजपा ने 2024 चुनाव में 70+ सीट जीत का लक्ष्य रखा है. इसलिए भाजपा में पिछड़े नेताओं को शामिल करने की कोशिशें शुरू हो गई है.

सीट कम होने के बाद भी सरकार बना ली

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ी संख्या में सपा,बसपा और अन्य दलों के पिछड़े नेताओं को भाजपा में लाने की तैयारी की गई है. विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा पर पिछड़ों की उपेक्षा के आरोप लगे थे. इस कारण पिछड़े समाज के बड़े नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी समेत कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर सपा- बसपा आदि में चले गए थे. इससे भाजपा का सियासी गणित बिगड़ गया था. मगर, भाजपा नेताओं की कुशल रणनीति और मेहनत के बल पर सीट कम होने के बाद भी सरकार बना ली.

बड़े नेताओं को शामिल कराने की तैयारी

इस बार भाजपा सैनी, निषाद, कश्यप, मौर्य चौहान और राजभर के साथ यादव वोट पर भी निगाह लगाए है. इन बिरादरियों के बड़े नेताओं को शामिल कराने की तैयारी चल रही है. हालांकि, भाजपा के पास ओबीसी के बड़े नेता केशव प्रसाद मौर्य, स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह समेत कई बड़े चेहरे हैं. मगर इनके सहारे पिछड़े मतदाताओं को साध पाना काफी मुश्किल लग रहा है. इसीलिए यूपी के हर जिले में मतदाताओं को प्रभावित करने वाले पिछड़े नेताओं पर भाजपा की निगाह है. इनको नगर निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक शामिल कराने की तैयारी है.

स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में,बेटी भाजपा में

पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सपा ज्वाइन की थी, लेकिन उनकी सांसद बेटी संघमित्रा मौर्य अभी भी भाजपा में हैं.वह अगला चुनाव सपा से लड़ेंगी या भाजपा से. यह भी साफ नहीं है. एक बार फिर भाजपा संघमित्रा मौर्य को चुनाव लड़ाकर स्वामी प्रसाद मौर्य को अपने पाले में ला सकती है. पूर्व कैबिनेट मंत्री को सपा भी साथ रखने की कोशिश में हैं.उनको संगठन में बड़ा पद देने की तैयारी की जा रही है.उनकी बेटी को बदायूं एवं आंवला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाएगी.

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रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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