अमेठी के बाद गांधी परिवार के हाथ से खिसकेगी रायबरेली ? “दिशा ” में स्मृति बनी अध्यक्ष- सोनिया उपाध्यक्ष
अमेठी और रायबरेली कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट रही है. दोनों सीटों पर लंबे अरसे से गांधी परिवार का कब्जा रहा लेकिन राहुल गांधी की अमेठी सीट पर भाजपा ने सेंधमारी कर ली. इस सीट पर कब्जा जमाने में सफल रही स्मृति ईरानी की नजर अब रायबरेली पर भी है.
अमेठी की सीट पर कब्जे के बाद भाजपा की नजर अब रायबरेली पर है. स्मृति ईरानी रायबरेली में अपनी पकड़ मजबूत कर रहीं है. सोनिया गांधी की सीट रायबरेली पर स्मृति ईरानी की चर्चा तेज इसलिए हो रही है क्योंकि उन्हें जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति (दिशा) अध्यक्ष बना दिया गया है जबकि सोनिया गांधी का उपाध्यक्ष बनाया गया है.
अमेठी और रायबरेली कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट रही है. दोनों सीटों पर लंबे अरसे से गांधी परिवार का कब्जा रहा लेकिन राहुल गांधी की अमेठी सीट पर भाजपा ने सेंधमारी कर ली. इस सीट पर कब्जा जमाने में सफल रही स्मृति ईरानी की नजर अब रायबरेली पर भी है.
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आपको बता दें कि हर बार चुनाव के बाद दिशा के लिए अध्यक्ष व सह अध्यक्ष का चयन होता है. ग्रामीण विकास मंत्रालय इसमें अहम भूमिका निभाता है. इस बार भारत सरकार की तरफ से आये पत्र में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को अध्यक्ष, जबकि सांसद सोनिया गांधी को सह अध्यक्ष बना दिया गया है.
राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा तेज है कि रायबरेली में स्मृति ईरानी की पकड़ मजबूत हो रही है इसकी चर्चा इसलिए भी तेज है क्योंकि जब स्मृति ईरानी को अमेठी भेजा गया था तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि स्मृति राहुल गांधी को पटखनी देने में सफल रहेंगी. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वे पहली बार जनता के बीच गईं उस वक्त हार मिली तो वह लागातार इस इलाके में काम करती रही जिसका नतीजा उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में मिला.
स्मृति ईरानी पहले भी अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी के साथ- साथ रायबरेली का जिक्र करती रहीं हैं. ऐसे में रायबरेली में दिशा की बैठक के लिए अध्यक्ष बनाये जाने के बाद यह स्पष्ट संकेत मिलने लगें हैं कि अब भाजपा की नजर इस सीट पर भी है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. भारतीय जनता पार्टी अपनी चुनावी रणनीति को और मजबूत कर रही है. ऐसे में रायबरेली में स्मृति ईरानी की आहट कई मायनों में इस चुनाव से भी जोड़कर देखी जा रही है.
कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को उनके ही क्षेत्र में स्मृति ईरानी से नीचे के पद पर रखा गया है. उपाध्यक्ष के पद पर पहले राहुल गांधी होते थे और अध्यक्ष के पद पर सोनिया गांधी इस पर पासा पलट गया और स्मृति ने इन इलाकों में अपनी पकड़ साबित कर दी है