मिशन काशीराम को आगे बढ़ाएंगे इमरान मसूद, बीएसपी चीफ का ‘दलित मुस्लिम गठबंधन’ बनाने पर जोर, जानें प्लान

काशीराम ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना 14 अप्रैल 1984 को की थी. काशीराम बसपा को एक पार्टी नहीं, एक मिशन बताते थे. वह दलित, पिछड़ों, गरीब और अल्पसंख्यकों की आवाज थे. इसलिए "डीएम" (दलित मुस्लिम गठबंधन) की बात करते थे. ऐसे में अब पार्टी भी...

By Prabhat Khabar News Desk | November 7, 2022 12:10 PM

Bareilly News: काशीराम ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना 14 अप्रैल 1984 को की थी. उन्होंने 1993 में सपा के साथ मिलकर यूपी में गठबंधन की सरकार बनाई. मगर, यह सरकार कुछ समय ही चली. इसके बाद दोनों दलों के रास्ते अलग-अलग हो गए. काशीराम बसपा को एक पार्टी नहीं, एक मिशन बताते थे. वह दलित, पिछड़ों, गरीब और अल्पसंख्यकों की आवाज थे. इसलिए “डीएम” (दलित मुस्लिम गठबंधन) की बात करते थे.

काशीराम कहते थे आपका डीएम बन गया, तो फिर किसी की जरूरत नहीं है. लोग खुद आपके साथ आएंगे. जिले में डीएम ही सब कुछ होता है. उनका मकसद उस वक्त 22 फीसद दलित और 14 फीसद मुस्लिमों को लेकर था. उनके मिशन से 13वीं लोकसभा यानी 1999 से 2004 की केंद्र सरकार में बसपा के 14, और 14वीं लोकसभा में 17 सांसद और 15वीं लोकसभा में 21 सांसद थे. वर्ष 2007 में बसपा ने यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, लेकिन उनकी बीमारी के बाद मौत हो गई. उनका मिशन रुक गया, लेकिन अब बसपा प्रमुख मायावती ने इमरान मसूद को पार्टी में शामिल कर काशीराम के मिशन “डीएम” बनाने पर काम शुरू किया है.

भाजपा को सत्ता से हटाने की प्लानिंग

इमरान मसूद मुसलमानों के साथ ही दरगाहों और उलमाओं के पास जाने लगे हैं. उनके निशाने पर सपा है. उनका प्लान जल्द ही बरेली में दरगाह आला हजरत प्रमुख से भी मिलने का है. इसके साथ ही अन्य दरगाहों के प्रमुख से भी टाइम मांगा जा रहा है. वह मुसलमानों को दलित और मुसलमानों के वोट की कीमत समझाएंगे. इन दोनों के मिलने के बाद ही भाजपा को सत्ता से बेदखल किया जा सकता है. वह देश के साथ ही समाज के लिए भाजपा को खतरा बता रहे हैं.

वेस्ट यूपी के उलमाओं से की मुलाकात

बसपा नेता इमरान मसूद ने वेस्ट यूपी के मुस्लिम उलमाओं से मुलाकात कर “डीएम” का फार्मूला समझाया है. उनका कहना है, अब सपा का साथ छोड़ दो, सपा के साथ उनका यादव भी नहीं है. सिर्फ मुस्लिम बचा है, लेकिन बसपा का बेस वोट बसपा के साथ है. वह विधानसभा चुनाव 2022 में भी बसपा प्रत्याशियों के साथ रहा, और आगे भी रहेगा. इसके साथ ही मुस्लिम के बसपा के साथ जुड़ने से भाजपा को आसानी से सत्ता से हटाया जा सकता है.

कितने कामयाब होते हैं इमरान?

यूपी में मुस्लिम करीब 5 करोड़ है, लेकिन यह वोट सभी दलों में जाता है. मगर, बड़ा हिस्सा सपा के साथ ही रहता है. सभी दल भाजपा का खौफ दिखाकर मुस्लिम वोट लेते हैं, लेकिन अब भाजपा ने भी पसमांदा मुसलमानों को अपने साथ जोड़ने का काम शुरू कर दिया है. इससे इन दलों को झटका लगना तय है, लेकिन इमरान मसूद बसपा के साथ मुसलमानों को लाने में जुटे हैं.वह कितने कामयाब होंगे, यह समय ही बताएगा.

इन वजह से मुसलमान बसपा पर नहीं करते भरोसा

शहर के पुराने सियासी महताब अहमद खां कहते हैं, काशीराम मिशनरी थे. उनके मकसद से पार्टी भटक गई है. बसपा प्रमुख भाजपा से लड़ने के बजाय भाजपा सरकार और नेताओं की तारीफ करती हैं. समय-समय पर भाजपा के साथ खड़ी दिखती हैं. इसलिए मुस्लिम मतदाता भरोसा नहीं कर पाते. अगर, वह ईमानदारी से भाजपा से लड़ें, तो मुसलमान बसपा के साथ जुड़ सकता है. 2007 में बड़ी संख्या में मुस्लिम बसपा के साथ गया था, लेकिन उस वक्त की सरकार में मुसलमानों का नुकसान हुआ था.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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