बसपा सुप्रीमो मायावती ने संविधान दिवस पर उठाया निजी संस्थानों में आरक्षण का मुद्दा, किसान आंदोलन की पैरवी की

बसपा प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन करके संविधान दिवस के अवसर पर प्राइवेट संस्थानों में आरक्षण के मुद्दे सहित किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर केंद्र सरकार को कुछ नसीहत दी है. साथ ही, उन्होंने विधायक उमाशंकर सिंह को बसपा विधानमंडल दल का नेता बनाए जाने की जानकारी.

By Prabhat Khabar News Desk | November 26, 2021 11:09 AM

Lucknow News : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया. उन्होंने इस दौरान आरक्षण को लेकर प्रदेश की योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की. उन्होंने विधायक उमाशंकर सिंह को बसपा विधानमंडल दल का नेता बनाए जाने की जानकारी.

यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने संविधान दिवस के दिन शुक्रवार को कहा कि देश के संविधान में आरक्षण के लिए जो व्याख्या की गई है, उसे ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि निजी संस्थानों में आरक्षण नहीं दिया जाता है. इसके लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को प्रभावी कदम उठाने चाहिए थे. जो उन्होंने नहीं उठाए. इसके साथ ही उन्होंने समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सपा जैसे दल पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता है.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने संविधान दिवस पर उठाया निजी संस्थानों में आरक्षण का मुद्दा, किसान आंदोलन की पैरवी की 2

इसके साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश में बसपा के विधानमंडल दल का नया नेता चुनने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बसपा विधायक उमाशंकर सिंह को पार्टी का विधानमंडल दल का नेता चुना गया है. बता दें कि उमाशंकर सिंह बलिया जिले की रसड़ा विधानसभा सीट से विधायक हैं. रसड़ा से वे दो बार विधायक चुन करके विधानसभा पहुंचे हैं.

गौरतलब है कि आजमगढ़ की सगड़ी विधानसभा सीट से बसपा विधायक वंदना सिंह के बाद गुरुवार को पार्टी के विधायक शाह आलम उर्फ ​​गुड्डू जमाली ने बसपा सुप्रीमो को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. साथ ही, उन्होंने कहा कि 21 नवंबर को आपसे मुलाकात में मुझे लगा कि पार्टी के प्रति मेरी निष्ठा और ईमानदारी के बावजूद आप संतुष्ट नहीं हैं. अगर मेरे नेता मुझसे या मेरे काम से संतुष्ट नहीं हैं तो मैं पार्टी पर बोझ नहीं बनना चाहता.

इसके बाद बसपा की ओर से मायावती का एक बयान जारी किया गया था. इसमें कहा गया था कि अवगत कराना है कि पार्टी को मीडिया से यह ज्ञात हुआ है कि बीएसपी एमएलए व विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. इसका खास कारण कुछ और नहीं बल्कि यह है कि इनकी कंपनी में एक लड़की काम करती थी जिसने इनके चरित्र पर गंभीर आरोप लगाते थे. इनके विरूद्ध पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा दी थी, जिसकी विवेचना अभी चल रही है. ऐसा इन्होंने मुझे खुद ही बताया था. इस घटना के बाद वह मुझ पर यूपी के मुख्यमंत्री से कहकर इस मामले को रफा-दफा कराने के लिए काफी दबाव बना रहे थे. इसके लिए अभी हाल ही में मुझसे फिर से यह मिले भी थे. बकौल प्रेस रिलीज, इस पर मायावती ने कहा था कि यह लड़की का प्रकरण है. बेहतर तो यही होगा कि यदि विवेचना में आपको न्याय नहीं मिलता है तो आप फिर कोर्ट में जाएं लेकिन ऐसा न करके यह मुझ पर ही इस केस को खत्म कराने का दबाव बना रहे थे. मेरी ओर से गलत काम न किए जाने पर ही वे नाराज़ होकर इस कदम को उठाने के लिए बाध्य हुए हैं.

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