Lucknow News: बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने हाल ही में पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान दिया था, जिसे लेकर वर्ग विशेष के विरोध-प्रदर्शन के बाद प्रवक्ता को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया. बीजेपी की इस कार्रवाई पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सवाल उठाए हैं. साथ ही सख्त कानूनी कार्रवाई के तहत प्रवक्ता को जेल भेजने की मांग की है. इससे पहले सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी बीजेपी की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे.
1. देश में सभी धर्मों का सम्मान जरूरी। किसी भी धर्म के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल उचित नहीं। इस मामले में बीजेपी को भी अपने लोगों पर सख्ती से शिकंजा कसना चाहिए। केवल उनको सस्पेंड व निकालने से काम नहीं चलेगा बल्कि उनको सख्त कानूनों के तहत् जेल भेजना चाहिए। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) June 6, 2022
यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने ट्वीट कर लिखा, ‘देश में सभी धर्मों का सम्मान जरूरी. किसी भी धर्म के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल उचित नहीं. इस मामले में बीजेपी को भी अपने लोगों पर सख्ती से शिकंजा कसना चाहिए. केवल उनको सस्पेंड व निकालने से काम नहीं चलेगा बल्कि उनको सख्त कानूनों के तहत् जेल भेजना चाहिए.
बसपा चीफ ने आगे लिखा, इतना ही नहीं बल्कि कानपुर में अभी हाल ही में जो हिंसा हुई है, उसकी तह तक जाना बहुत जरूरी. साथ ही, इस हिंसा के विरुद्ध हो रही पुलिस कार्रवाईयों में निर्दोष लोगों को परेशान ना किया जाए, बीएसपी की यह भी मांग.
इससे पहले रविवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर नूपुर शर्मा पर की गई कार्रवाई को लेकर बीजेपी पर सवाल उठाए. उन्होंने लिखा, भाजपा नूपुर शर्मा पर सिर्फ़ निलंबन की दिखावटी कार्रवाई न करे बल्कि वैधानिक क़दम उठाए. विवादित बयान पर भाजपा से निलंबन तो उनका भी हुआ था, जो आज उप्र की भाजपा सरकार में मंत्री बने बैठे हैं.
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान के बाद नूपुर शर्मा को पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा बीजेपी मीडिया प्रभारी नवीन जिंदल को भी पार्टी से निकाल दिया गया है. पार्टी की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया कि, पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है. पार्टी किसी भी धर्म से जुड़े व्यक्तित्व के आलोचना की कड़ी निंदा करती है. पार्टी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान से उपजे विवाद के बीच भाजपा के कंद्रीय महासचिव अरुण सिंह ने एक बयान जारी कर कहा कि उनकी पार्टी को ऐसा कोई भी विचार स्वीकृत नहीं है, जो किसी भी धर्म या संप्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाए.