सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने बुलडोजर चलवाने पर दिया अपना जवाब, जमीयत की याच‍िका को कहा- कर रहे गुमराह

योगी सरकार ने इस संबंध में सर्वोच्‍च न्‍यायालय में कहा है कि जिन लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया था, उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई की गई है. यूपी सरकार ने इस बात से इनकार किया कि सहारनपुर में अवैध अतिक्रमण हटाने के दौरान किसी नाबालिक बच्चे को हिरासत में लिया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | July 13, 2022 12:55 PM

CM Yogi Bulldozer Case Update: यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर अपना जवाब दाखिल किया है. अपने जवाब में कहा है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद याचिका दाखिल कर कोर्ट को गुमराह कर रही है. ऐसे में इस याचिका को सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया जाए. दरअसल, जमीयत ने कोर्ट में गुहार लगाई है कि बुलडोजर की कार्यवाही सिर्फ मुस्‍ल‍िम पक्ष को निशाना बनाकर की जा रही है.

यूपी सरकार ने किया इनकार

योगी सरकार ने इस संबंध में सर्वोच्‍च न्‍यायालय में कहा है कि जिन लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया था, उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई की गई है. यूपी सरकार ने इस बात से इनकार किया कि सहारनपुर में अवैध अतिक्रमण हटाने के दौरान किसी नाबालिक बच्चे को हिरासत में लिया गया. सरकार ने कहा कि प्रयागराज में अवैध अतिक्रमण का मामला हाइकोर्ट में लंबित है, ऐसे में इसे सुप्रीम कोर्ट में लाने की जरूरत नहीं है. कानपुर में बुलडोजर मामले में तो याचिका में खुद ही मान लिया गया है कि निर्माण अवैध था. अब कोर्ट ने जमीयत की याचिका पर 2022 से पहले यूपी और अन्य राज्यों में इस तरह की कार्रवाई का ब्योरा मांगा है.

याच‍िका में क्‍या दी गई है दलील?

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने यूपी की योगी आद‍ित्‍यनाथ सरकार को निर्देश जारी करने के लिए एक आवेदन के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. आवेदन में कहा गया है कि किसी भी आपराधिक कार्यवाही में किसी भी आरोपी की आवासीय या व्यावसायिक संपत्ति के खिलाफ अतिरिक्त कानूनी दंडात्मक उपाय के रूप में कानपुर जिले में कोई प्रारंभिक कार्रवाई न की जाए. जमीयत उलमा-ए-हिंद अपने आवेदन के माध्‍यम से यूपी सरकार को यह निर्देश दिलाने की कोशिश कर रहा है कि किसी भी तरह की ध्‍वस्‍तीकरण की कार्यवाही को कानून का सही तरह से पालन करने के बाद किया जाना चाहिए. साथ ही, हर प्रभावित व्यक्ति को उचित नोटिस और सुनवाई का अवसर देने के बाद ही उसकी सम्‍पत्‍त‍ि को ध्‍वस्‍त करने की कार्रवाई की जानी चाहिए.

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