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Haunted Fort: राजा ने 7 लड़कियों से इस किले में की थी दरिंदगी, बुर्ज से कूदकर दी जान, सुनाई देती हैं चीखें

UP Haunted Fort: बुंदेलखंड के ललितपुर जनपद का तालबेहट किला दरिंदगी की ऐसी दास्तान का गवाह रहा है, जिसे सैकड़ों सालों बाद भी लोग भूल नहीं पाए हैं. हर पीढ़ी के बुजुर्ग युवाओं से इसका जिक्र करना नहीं भूलते. राजा की दरिंदगी का​ शिकार हुई सात लड़कियों की सिसकियां...

UP Haunted Fort: हमारे देश के हर हिस्से में किले मौजूद हैं और इनका अपना इतिहास है. ये किले जहां शौर्य गाथाओं के लिए मशहूर हैं, वहीं इनकी अलग-अलग कहानी भी है. इन किलों में हर साल लाखों पर्यटक घूमने आते हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं, जहां लोग कदम रखने से भी डरते हैं. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बुंदेलखंड (Bundelkhand) में ललितपुर जनपद के तालबेहट में मर्दन सिंह का किला (Talbehat Fort) इन्हीं में से एक है, जिसे कोई भूतिया किला या मनहूस किला कहता है तो कोई अशुभ.

भूतिया किला में मासूम लड़कियों की सिसकियों की दास्तान

भूतिया किला के पीछे मासूम लड़कियों की सिसकियों की वो दास्तान है, जो आज भी रात में लोगों को किले से सुनायी देती है. इसमें वह रोते हुए अपना दर्द बयां करती हैं. इन लड़कियों की चीखों के कारण लोग किले में दाखिल नहीं होते और इसका जिक्र सैकड़ों सालों के बाद भी अपनी आने वाली पीढ़ी से करना नहीं भूलते. वजह उन्हें इस शापित किले से दूर रखना है, जिसकी वजह से कोई अनहोनी नहीं हो जाए.

बानपुर के राजा मर्दन सिंह ने बनवाया था तालबेहट का किला

इतिहासकार नीरज सुडेले के मुताबिक 1850 में मर्दन सिंह ललितपुर में बानपुर के राजा बने. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में वह रानी लक्ष्मीबाई के साथ थे. बुंदेलखंड में आज भी मर्दन सिंह को महान क्रांतिवीर के रूप में याद किया जाता है. बानपुर के पास तालबेहट गांव था. जहां उनका अक्सर आना-जाना होता था. इस वजह से राजा मर्दन सिंह ने वहां किला बनवाया. इस किले की देखरेख उनके पिता प्रहलाद सिंह करते थे. प्रहलाद सिंह यहां अकेले ही रहते थे.

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अक्षय तृतीया के दिन नेग मांगने की रस्म होती है. इस रस्म अदायगी के लिए तालबेहट की सात लड़कियां राजा मर्दन सिंह के इस किले में पहुंची. मर्दन सिंह के पिता प्रहलाद किले में अकेले थे. लड़कियों की खूबसूरती देखकर उनकी नीयत खराब हो गई।. उन्होंने इन सातों के साथ दरिंदगी की. लड़कियों की चीख महल में कैद होकर रह गई. राजा की ताकत के आगे उन्होंने खुद को असहाय पाया और लोकलाज के डर से आहत सभी ने किले के बुर्ज से कूदकर जान दे दी.

मुख्य द्वार पर बनाए गए सातों लड़कियों के चित्र

सात लड़कियों के एक साथ खुदकुशी करने से तालबेहट गांव में हाहाकार मच गया. लोग प्रहलाद सिंह का विरोध करने लगे. जनता के आक्रोश को देखते हुए राजा मर्दन सिंह ने अपने पिता प्रहलाद को यहां से वापस बुला लिया. राजा मर्दन सिंह अपने पिता की नापाक हरकत से बेहद दुखी थे. उन्होंने जनता का गुस्सा शांत करने और अपने पिता की करतूत का पश्चाताप करने के लिए लड़कियों को श्रद्धांजलि देने का फैसला किया. राजा मर्दन सिंह ने अपने पिता के गुनाह पर पश्चाताप किया और किले के मुख्य द्वार पर सभी सात लड़कियों के चित्र बनवाए. वक्त के थपेड़ों के बावजूद इन चित्रों की झलक आज भी किले की दीवारों पर मिलती है.

आज भी भूतिया किला में गूंजती हैं आवाजें

यूं तो मर्दन सिंह ने अपने पिता के गुनाह को स्वीकार करते पश्चाताप कर लिया. लेकिन, कहा जाता है कि अकाल मौत के कारण सातों लड़कियों की आत्मा को शांति नहीं मिली. खुदकुशी  करने से पहले उनकी सिसकियां भले ही तब लोग नहीं सुन पाए हों. लेकिन, मरने के बाद तालबेहट के किले में अब वह हमेशा के लिए गूंजती रहती हैं. आज भी अगर कोई इस खंडहरनुमा किले की ओर जाने के लिए कदम बढ़ाता है तो उसे ये आवाजें सुनाई देती हैं. इस वजह से अंधरे में कोई भी किले में प्रवेश नहीं करता.

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आज भी नहीं मनाई जाती अक्षय तृतीया

यह वाकया अक्षय तृतीया के दिन हुआ था और इस दिन गांव की सात बेटियां अपने साथ हुए गुनाह के कारण खुदकुशी करने को मजबूर हुई थीं. इसलिए आज भी यहां के लोग इस पर्व को नहीं मनाते हैं. इस घटना को सैकड़ों वर्षों हो गए और कितनी पीढ़ियां गुजर गई. लेकिन, आज भी लोग इसका पूरी तरह से पालन करते हैं और अक्षय तृतीया की खुशियों से पूरी तरह दूरी बनाए रखते हैं. राजा मर्दन सिंह ने अपने पिता की करतूत का पश्चाताप करने के लिये लड़कियों को श्रद्धांजलि के रूप में किले के मुख्य द्वार पर उनके जो चित्र बनवाए थे, गांव की शांति के लिए हर वर्ष महिलाएं आज भी उसकी पूजा करती हैं.

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