मुस्लिम महिलाओं को बुर्के से मुक्ति दिलाए जाने के बयान के एक दिन बाद उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ल ने बृहस्पतिवार को कहा कि महिलाओं को कोई भी वस्त्र पहनने की आजादी होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि रूढ़िवाद व परंपरा के नाम पर महिलाओं पर कुछ भी थोपा नहीं जाना चाहिए, समाज के प्रबुद्ध लोगों व धर्म गुरुओं को 21 वीं सदी के साथ समाज को आगे बढ़ाने का अवसर देना चाहिए. संसदीय कार्य राज्य मंत्री शुक्ल ने बृहस्पतिवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बुर्का से आजादी दिलाने के अपने बयान पर सफाई दी.
उन्होंने कहा कि वह सुधार की बात कह रहे हैं. मंत्री ने कहा कि किसी भी धर्म की महिला को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह क्या पहने व क्या न पहने. उन्होंने कहा कि रूढ़िवाद व परंपरा के नाम पर उनपर कुछ भी थोपा नहीं जाना चाहिए और न ही दबाव बनाया जाना चाहिए.
मंत्री ने दोहराया कि अनेक मुस्लिम देशों में बुर्का पर पाबंदी लगाई गई है. शुक्ल ने कहा कि निश्चित रूप से मुस्लिम धर्म गुरुओं को इस बारे में विचार करना चाहिए और मुस्लिम महिलाओं को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वह चाहे तो बुर्का पहने या न पहने. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठायेगी?
उन्होंने कहा कि यह विषय अभी सरकार का नहीं है, यह विषय समाज का है. मंत्री ने कहा कि मुस्लिम धर्म गुरुओं को इसका संज्ञान लेना चाहिए, मुस्लिम धर्म गुरु मुस्लिम महिलाओं की राय लें, किसी भी धर्म गुरु को परंपरा के नाम पर किसी धर्म की महिला पर कोई वस्त्र पहनने का दबाव नहीं बनाना चाहिए. शुक्ल ने कहा कि समाज के प्रबुद्ध लोगों व धर्म गुरुओं को 21 वीं सदी के साथ समाज को आगे बढ़ाने का अवसर देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सरकार ने तीन तलाक के मसले पर इसलिए कदम उठाया क्योंकि लंबे समय से मुस्लिम धर्म गुरुओं ने इस पर कोई विचार नहीं किया. उन्होंने कहा, लोकतंत्र में निर्वाचित होने के बावजूद ओवैसी की तरह ऐसे कुछ मुसलमान हैं, जो नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री व योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं कर रहे.
मंत्री ने कहा, ऐसी सोच लोकतंत्र के हित में नहीं है. गौरतलब है कि बुधवार को शुक्ल ने कहा था कि देश में तीन तलाक की तर्ज पर मुस्लिम महिलाओं को बुर्के से भी मुक्ति दिलाई जाएगी. उन्होंने बुर्के को अमानवीय व्यवहार व कुप्रथा करार दिया था.