Lucknow: सीबीआई की विशेष अदालत ने रिश्वत के एक मामले में 32 साल बाद आरोपी को डेढ़ साल की सजा सुनाई है. खास बात है इसमें रेलवे से रिटायर्ड आरोपी क्लर्क पर 100 रुपये रिश्वत लेने का आरोप साबित हुआ. इस समय आरोपी की उम्र 89 साल है. वहीं शिकायतकर्ता की मौत हो चुकी है. अदालत ने पीड़ित की पेंशन राशि से रिश्वत की तुलना करते हुए इसे गंभीर मामला करार दिया. आरोपी पर 15 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है.
मामले के अनुसार आरोपी राज नारायण वर्मा 1991 में लखनऊ के उत्तर रेलवे अस्पताल में क्लर्क पद पर तैनात था. उसने रिटायर्ड कर्मचारी इंजन ड्राइवर लोको फोरमैन रामकुमार तिवारी से मेडिकल प्रमाणपत्र बनवाने के नाम पर 150 रुपये की रिश्वत मांगी थी.
शिकायतकर्ता की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. उसने किसी तरह 7 अगस्त 1991 को 50 रुपये का इंतजाम कर आरोपी को दिए. लेकिन, आरोपी ने 100 रुपये चुकाए बिना प्रमाणपत्र देने से मना कर दिया. इससे परेशान पीड़ित रामकुमार तिवारी ने मामले की शिकायत तत्कालीन सीबीआई पुलिस अधीक्षक से की.
इस पर पुलिस अधीक्षक ने मामले में टीम गठित की और शिकायतकर्ता रामकुमार तिवारी को 50-50 रुपये के दो नोट दिए. इसके बाद सीबीआई की टीम ने बाबू राज नारायण वर्मा को रंगे हाथों रिश्वत के बचे सौ रुपये लेते गिरफ्तार कर लिया.
अहम बात है कि मामले की सुनवाई के दौरान ही रिश्वत लेने की शिकायत करने वाले रामकुमार तिवारी की मौत हो चुकी है. इस बीच रिश्वत लेने के आरोपी की तरफ से हाईकोर्ट में इस मामले को शीघ्र निस्तारित कराए जाने की अपील भी दाखिल की गयी. इस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई की विशेष कोर्ट को छह माह में मामले का निस्तारण कर केस खत्म करने का निर्देश भी दिया था. अदालत ने हाई कोर्ट के निर्देश पर मात्र 35 दिनों में इस मुकदमे की सुनवाई करते हुए सजा सुनाई है. निचली अदालत से हाई कोर्ट तक ये मुकदमा 32 साल चला.
सीबीआई अदालत पांच के एडीजे पश्चिम अजय विक्रम सिंह ने अपने निर्णय में कहा है कि आरोपी की आयु एवं उसके पास से बरामद रिश्वत की राशि को देखा जाए तो यह कोई बहुत बड़ा मामला नहीं है. लेकिन, 32 साल पहले 100 रुपये की राशि भी उस जरूरतमंद के लिए बहुत अधिक होती थी, जिसे पेंशन के रूप में मात्र 382 रुपये मिलते हों.
वहीं आरोपी ने दंड मिलने के बाद अपनी उम्र का हवाला देते हुए सजा से राहत की गुजारिश की. आरोपी 31 जुलाई 1994 को सेवानिवृत हो चुका है. इस समय उसकी उम्र 89 वर्ष है. आरोपी की गुजारिश पर अदालत ने कहा है कि यदि आरोपी को उसके द्वारा किए गए कृत्य के लिए दंडित नहीं किया जाएगा तो समाज में उसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा.