Loading election data...

Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को ऐसे करें प्रसन्न, मिलेगा मनोवांछित फल

Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन आज माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन और पूजन का विधान है. यदि बासंतिक नवरात्र के अनुसार देखे तो महागौरी के नौ रूप में से एक माता ज्येष्ठा गौरी के भी दर्शन-पूजन का विधान है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 3, 2022 8:38 AM
an image

Varanasi News: मां दुर्गा की आराधना का महापर्व नवरात्र शनिवार यानी 2 अप्रैल से शुरू हो गया है. देवी के नौ रूपों की पूजा इन्ही नौ दिनों में की जाती है. काशी में अन्य जगहों की अपेक्षा धार्मिक नगरी होने के कारण यहां के देवी मंदिरों में विशेष भीड़ उमड़ती है. नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन का विधान है. यदि बासंतिक नवरात्र के अनुसार देखे तो महागौरी के नौ रूप में से एक माता ज्येष्ठा गौरी के भी दर्शन-पूजन का विधान है.

माता ब्रह्मचारिणी के मस्तक पर मुकुट है शोभायमान

नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी स्वरूप के रूप में भक्त दुर्गा घाट पर स्थित माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन पूजन करते हैं. माता के मस्तक पर मुकुट शोभायमान है. पीली और लाल चुनरी में माता का रूप मनभावन है. नवरात्र के दूसरे दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. मां ब्रह्मचारिणी के इस मंदिर में सुबह से ही भक्‍तों की भीड़ लग जाती है. इस मंदिर में माता की नारियल, चुनरी, माला फूल आदि चढ़ा कर पूजा की जाती है.

मा दुर्गा का दूसरा स्वरूप है ब्रह्मचारिणी

भगवती दूर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी माता का है. ब्रह्मा का अर्थ है तपस्या. तप का आचरण करने वाली भगवती जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है. वेदस्तत्वंतपो ब्रह्म, वेद, तत्व और ताप ब्रह्मा अर्थ है. ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है. इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमंडल रहता है. जो देवी के इस रूप की आराधना करता है उसे साक्षात परब्रह्म की प्राप्ति होती है.

ब्रहमा की बेटी हैं मां ब्रह्मचारिणी

दूर्गा सप्तशती में स्वयं भगवती ने इस समय शक्ति-पूजा को महापूजा बताया है. मां ब्रह्मचारिणी को ब्रहमा की बेटी कहा जाता है क्योंकि ब्रहमा के तेज से ही उनकी उत्पत्ति हुई है. मां ब्रह्मचारिणी का स्वरुप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य है. इनके दाये हाथ में जप की माला और बाये हाथ में कमंडल है.

मां पूरी करती हैं हर मनोकामना

मां के इस स्वरूप की आराधन करने पर शक्ति, त्याग, सदाचार, सयम और वैराग में वृद्धि होती है. मां को लाल फूल का चढ़ाएं. मां के तेज की लीला अपरम्पार है. मंदिर में बनारस के आसपास के क्षेत्रों से भी लोग नवरात्रि में दर्शन करने आते हैं. लोगों को विश्‍वास है कि मां के इस मंदिर में दर्शन करने वाले नि:संतान भक्‍तों को संतान सुख मिलता है और उनकी हर मनोकामना मां पूरी करती हैं.

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र क्या है? Brahamcharini Mata Mantra

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु| देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

मां ब्रह्मचारिणी की आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

Exit mobile version