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Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के 9 दिन इस तरह करें व्यतीत, कलश स्थापना के लिए जानें सही दिशा व विधि

Chaitra Navratri 2022: काशी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य धर्माचार्य पण्डित पवन त्रिपाठी ने बताया कि नवरात्र के 9 दिनों तक श्रद्धालुओं को क्या करना चाहिए...

By Prabhat Khabar News Desk | March 31, 2022 2:45 PM
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Varanasi News: काशी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य धर्माचार्य पण्डित पवन त्रिपाठी ने नवरात्र के महात्म्य, पूजन-तिथि के बारे में प्रभात खबर से विस्तारपूर्वक बातचीत की. उन्होंने बताया कि सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार, जब प्रकृति नवीन रूप धारण करती हैं, तो नवरात्र का शुभारंभ होता है. यह चैत्र पक्ष- शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से आरम्भ होता है. वर्ष में 2 बार प्राकृतिक स्वरूप प्राप्त होता है. एक शारदीय नवरात्र, एक वासन्तिक नवरात्र , 6-6 माह के अंतर पर दो नवरात्र आत हैं. एक नूतन वर्ष के संदर्भ में आती हैं और एक शरद ऋतु के संदर्भ में आती हैं.

नवरात्र के 9 दिन इस तरह करें व्यतीत

नवरात्र श्रद्धालुओं को 9 दिन क्या करना चाहिए अब इसके बारे में विस्तार से बात करते हैं. नवरात्र में देवी मंदिरों में जाकर दर्शन-पूजन करना चाहिए. अपने छत के ऊपर ध्वजारोहण करना चाहिए. दरवाजों पर फूल-पत्तों से सजा बंदनवार लगाना चाहिए, क्योंकि हम नूतन वर्ष का स्वागत करने जा रहे हैं. ज्योतिषी को बुलाकर के नक्षत्र-योग का स्मरण करना चाहिए. साथ ही कलश-स्थापना करनी चाहिए.

विधि-विधान के साथ करें कलश स्थापना

कलश-स्थापना कैसे करनी चाहिए इसको लेकर के शास्त्रों में विधान बताया गया है. वैसे तो मंदिरों में भी कलश स्थापना की जाती है. मगर प्रत्येक परिवार में भी हिन्दू धर्म मान्यता के अनुसार कलश स्थापना का प्रावधान है. इसके लिए अच्छी जगह की मिट्टी लाकर के उसे फर्श पर बिछाकर कर के उस पर जौ बौने के बाद उसके ऊपर मिट्टी का कलश रख देना है. अब इसमें जल भर दें. गंधचक्र डालकर उसके ऊपर एक पात्र रखकर उसमें चावल रख दें, फिर आम का पल्लव रखकर उसे चावल से ढक दें.

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कलश पर रखें जलधर नारियल

कलश पर जलधर नारियल में लाल कपड़ा लपेटकर उसे रख दें. मां भगवती का ध्यान करें. एक सहज मंत्र का उच्चारण करें. ‘जयंती भगवती भद्र काली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवधात्री स्वाहा सुधा नमोस्तुते’ इसके बाद देवी भगवती का आहवान करते हुए कहना चाहिए कि आप इस कलश के मध्य रखे हुए नारियल में आएं, औऱ नौ दिवस पर्यंत उस नारियल को देवी भगवती का स्वरूप समझकर कलश पूजन करना चाहिए.

9 दिनों तक जलाएं अखंड ज्योति

इन 9 दिनों अखंड ज्योति तिल के तेल का या घृत का जलाना चाहिए. ध्यान रहे यह दीपक बुझे नहीं. देवी स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए. जरूरी नहीं की दुर्गा सप्तशती पाठ आप आचार्य द्वारा ही पढवाएं. इसमे संस्कृत के साथ ही हिंदी में भी पाठ लिखा है. आप इसे स्वयं भी पढ़ सकते हैं. माता को लाल पुष्प अतिप्रिय हैं. इसे जरूर अर्पित करें. इसके साथ ही समाज की सभी- माताओं बहनों का सम्मान करें व अपने अंदर माता का भाव रखकर सभी को पूजें. ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम कलश में स्थापित माता का तो पूजन कर रहे हैं परंतु अपनी जीवंत माता का तिरस्कार कर रहे हैं.

घर में बैठी माता-बहन-स्त्री किसी का भी अपमान करने वालों से देवी भगवती कभी प्रसन्न नहीं रहती है. यही देवी भगवती की सही उपासना हैं. 9 दिन उपवास रखना चाहिए. यदि सम्भव नहीं है तो सप्तमी- अष्टमी- नवमी को व्रत रख सकते हैं. यदि यह भी नहीं कर सकते तो मात्र नवमी को व्रत रखें. क्योंकि नवमी को ही भगवान राम का जन्म भी हुआ है. ऐसा माना जाता है कि जो भगवान के जन्म के दिन अन्न खाता है. वह नरक को जाता है. इसलिए नवमी वाले दिन उपवास करना चाहिए. धर्म शास्त्रों में कन्या पूजन का बहुत महत्व है.

अष्टमी व नवमी के दिन बेटियों को दुर्गा स्वरूप समझकर इनका पैर धोना चाहिए. पैरों में महावर लगाना चाहिए, अक्षत, कुमकुम नए वस्त्र पहनाकर, अपने सामर्थ्य के अनुसार, उनको कुछ उपहार देकर के उन्हें दिव्य- हलुवा- पुड़ी से भोजन कराकर के इनकी विदाई करनी चाहिए. नवरात्र में हमे समस्त मातृ शक्ति का नमन करते हुए सभी के मान-सम्मान सुरक्षा का संकल्प लेना चाहिए.

रिपोर्ट- विपिन सिंह

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