UP MLC Chunav 2022: ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब उत्तर प्रदेश के विधान परिषद यानी उच्च सदन में कांग्रेस का पक्ष रखने वाला कोई नहीं होगा. कारण, विधानसभा में कांग्रेस को मिली मात्र 2 सीटें हैं. स्थानीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी को बहुमत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं क्योंकि पार्टी के पास जमीनी स्तर पर भी कमी दिख रही है. कांग्रेस के पास वर्तमान में ऐसे नेताओं की कमी है जो उन्हें ब्लॉक प्रमुख और बीडीसी आदि का वोट दिला सके.
लखनऊ की सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज ही है कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नेतृत्व के लिए इस बार कांग्रेस का कोई भी नेता नहीं बचेगा. दरअसल, वर्तमान में कांग्रेस के दीपक सिंह एकमात्र विधान परिषद सदस्य हैं. वही नेता विधान परिषद भी हैं. उनका कार्यकाल भी जुलाई 2022 में खत्म हो रहा है. ऐसे में कांग्रेस के लिए विधान परिषद में कोई भी नेता पार्टी का पक्ष रखने वाला नहीं रहेगा. ऐसा होने पर विधान परिषद पहली बार बिना किसी कांग्रेसी नेता की मौजूदगी में चलेगी.
Also Read: MLC Election Process: विधानसभा में जो मजबूत विधान परिषद में उसी का जलवा, जानें एमएलसी चुनाव की प्रक्रिया
बता दें कि उच्च सदन में सत्ताधारियों का ही बोलबाला रहता है. आमतौर पर यह चुनाव सत्ता का ही माना जाता है. कांग्रेस पार्टी की बात करें तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस पार्टी की स्थिति बिगड़ती जा रही है. पार्टी के महज दो ही विधायक इस बार जीत पाए हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की तरफ से विधान परिषद में किसी भी प्रत्याशी को जिता पाना संभव नहीं है. इतना ही नहीं स्थानीय स्तर पर भी कांग्रेस पार्टी इतनी मजबूत नहीं है कि उसे कहीं से भी अपने प्रत्याशी को जीत मिलती नजर आए. इससे साफ है कि विधान परिषद में इस बार कांग्रेस का कोई नेतृत्वकर्ता नहीं होगा.
Also Read: UP MLC Chunav: प्रधानों और बीडीसी से होली के गुलाल के बदले वोट मांगने का है प्लान, जानें भाजपा की रणनीति
बता दें कि उत्तर प्रदेश में 36 सीटों पर विधान परिषद का चुनाव होना है. इस चुनाव के लिए नामांकन भी शुरू हो गया है. पहले चरण के लिए नामांकन 21 मार्च तक किए जा सकेंगे. इसके बाद नामांकन पत्रों की जांच होगी और नाम वापस लिए जा सकेंगे. उत्तर प्रदेश की बात करें तो विधान परिषद में कुल 100 सीटें हैं. विधान परिषद का नियम है कि विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए. उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सदस्य हैं, इसका सीधा मतलब है कि यूपी विधान परिषद में ज्यादा से ज्यादा 134 सदस्य हो सकते हैं. वहीं, विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना भी अनिवार्य हैं.