यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद करने के लिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिखा पत्र, जानें क्यों?
यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश के बाद मदरसों का सर्वे कर वहां के पाठ्यक्रम एवं आय के श्रोत के बारे में जानकारी ली जा रही है. इसी के तहत लखनऊ के गोसाईगंज स्थित मदरसे के निरीक्षण के दौरान दो बच्चे पैरों में जंजीर बांधकर मिले. इसके बाद यह पत्र जारी किया गया है.
UP Madarsa Servey: उत्तर प्रदेश के समस्त गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का संचालन बंद कराने के संबंध में पत्र जारी किया गया है. यह पत्र यूपी राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से लिखा गया है. दरअसल, यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश के बाद मदरसों का सर्वे कर वहां के पाठ्यक्रम एवं आय के श्रोत के बारे में जानकारी ली जा रही है. इसी के तहत लखनऊ के गोसाईगंज स्थित मदरसे के निरीक्षण के दौरान दो बच्चे पैरों में जंजीर बांधकर मिले. इसके बाद यह पत्र जारी किया गया है.
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बच्चों का हो रहा शोषण
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यह पत्र अल्प संख्यक विभाग के प्रमुख सचिव को लिखा है. पत्र में लिखा है कि हाल ही में लखनऊ के गोसाईगंज में चल रहे एक मदरसे के सर्वे में कुछ विवादास्पद चीज मिली. उसके तहत मदरसे में दो बच्चों को पैरों में जंजीर बांधकर रखा गया था. साथ ही, उस मदरसे में अनेक तरह की गड़बड़ियां पाई गईं. उस मदरसे की मान्यता भी नहीं थी. पत्र में जिक्र किया गया है कि मीडिया रिपोर्ट में यह पाया गया है कि प्रदेश में कई मदरसे बिना मान्यता के ही संचालित किए जा रहे हैं. ऐसे में वे मदरसे नियम विरूद्ध तरीके से चलाये जा रहे हैं. आयोग के पत्रानुसार, कुछ मदरसों को बच्चों में क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया जा रहा है. यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए एवं 39(एफ) की अवहेलना है.
आयोग ने कहा- मौलिक अधिकारों का हनन
ऐसे मदरसे बच्चों को स्कूली शिक्षा से वंचित कराकर अपने यहां प्रवेश ले रहे हैं. इनमें से कुछ मदरसों में बच्चों के साथ शारीरिक, मानसिक एवं लैंगिक शोषण करने का मामला भी प्रकाश में आ रहा है. आयोग के अनुसार, ऐसे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की निगरानी किसी भी विभाग की ओर से नहीं हो पाती है. आयोग के पत्रानुसार, 6 से 14 साल के बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा न देना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है. इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूलों व आंगनवाड़ी केंद्रों पर पंजीकरण न होने के कारण मिड-डे-मील, पुष्टाहार और टीकारण आदि जैसी योजनाओं से भी वंचित होना पड़ता है.