Lucknow: प्रदेश के जनपद चित्रकूट जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की बहू और विधायक अब्बास अंसारी की पत्नी निसबत अंसारी को पुलिस ने हिरासत में लिया है. बताया जा रहा है कि चित्रकूट जेल में अब्बास अंसारी से मिलने पहुंची निसबत अंसारी मोबाइल व अन्य प्रतिबंधित सामान लेकर पहुंची थी.
अब्बास अंसारी से चित्रकूट जेल में मिलने पहुंची पत्नी निसबत अंसारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि निसबत अंसारी अवैध तरीके से चित्रकूट जिला जेल पहुंची थीं. डिप्टी जेलर के कमरे में पति-पत्नी की मुलाकात हो रही थी. इसकी जानकारी प्रशासन को हुई तो जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने जेल में छापा मारा.
बताया जा रहा है कि निसबत जेल प्रशासन से सांठगांठ कर अब्बास अंसारी से मिलने जिले पहुंची थीं. पुलिस ने निसबत अंसारी के पास से कई आपत्तिजनक चीजें भी बरामद की हैं. तलाशी में मोबाइल व अन्य सामान बरामद हुआ. आरोप है कि निसबत जेल में मोबाइल फोन ले जाने की कोशिश में थीं. इसके अलावा पुलिस ने निसबत का मोबाइल भी जब्त कर लिया है. गिरफ्तारी के बाद निसबत अंसारी को गोपनीय जगह पर रखा गया है. पुलिस की ओर से मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है.
इस बीच इस मामले में जेल प्रशासन की तरफ से मुकदमा दर्ज करवाया गया है. निसबत अंसारी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. जेल प्रशासन की लापरवाही को लेकर जांच के आदेश दिए हैं. डीआईजी जेल प्रयागराज को जांच सौंपी गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद चित्रकूट जेल में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई होगी.
वहीं अब्बास अंसारी को कोर्ट से झटका लगा है. अब्बास अंसारी की जमानत अर्जी एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश हरबंस नारायण ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने आरोपों को गंभीर प्रकृति का मानते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया. अब्बास अंसारी पर हजरतगंज थानाक्षेत्र के जियामऊ स्थित शत्रु संपत्ति पर कब्जा कर धोखाधड़ी से फर्जी रजिस्ट्री स्वयं के साथ भाई उमर व पिता के नाम पर करवाने का आरोप है.
कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने की मांग से जुड़ी अर्जी पर अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलों को सुना. जमानत का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष की और से सरकारी वकील ज्वाला प्रसाद शर्मा और रमेश कुमार शुक्ला ने बताया कि मामले की रिपोर्ट लेखपाल सुरजन लाल ने 27 अगस्त 2020 को थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी.
इसमें बताया गया कि मुख्तार और उसके बेटों अब्बास व उमर ने जाली दस्तावेज तैयार करके निष्क्रांत भूमि पर एलडीए से नक्शा पास कराया और अवैध निर्माण कर कब्जा कर लिया. बताया गया कि जियामऊ स्थित जमीन मो. वसीम के नाम से दर्ज थी. बाद में वसीम पाकिस्तान चला गया. यह जमीन बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के पहले लक्ष्मी नारायण के नाम और उसके बाद कृष्ण कुमार के नाम दर्ज हुई थी.