सीएम योगी आदित्यनाथ बोले- ब्रिटेन ने हम पर राज किया, आज अर्थव्यवस्था में भारत ने ब्रिटेन को पीछे कर दिया

सीएम योगी गुरुवार को युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 53वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की 8वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक समारोह के अंतर्गत 'आजादी का अमृत महोत्सव : संकल्पना से सिद्धि तक' विषयक सम्मेलन शामिल हुए.

By Prabhat Khabar News Desk | September 8, 2022 6:10 PM

Gorakhpur News: मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिस ब्रिटेन ने भारत पर 200 वर्षों तक शासन किया. वह देश अपनी आजादी के 75 सालों में उसी ब्रिटेन को पछाड़कर आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. यह इस बात का जीवंत उदाहरण है कि आज का नया भारत अपने संकल्पों को सिद्धि में बदल रहा है. यह भारत के वर्तमान यशस्वी नेतृत्व की सफलता का भी उदाहरण है.

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‘सम्पूर्ण देश की सहभागिता रही’

सीएम योगी गुरुवार को युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 53वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की 8वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक समारोह के अंतर्गत ‘आजादी का अमृत महोत्सव : संकल्पना से सिद्धि तक’ विषयक सम्मेलन शामिल हुए. उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में पहली बार लगा कि स्वाधीनता दिवस का पर्व सिर्फ सरकारी आयोजन नहीं है बल्कि इसमें जन-जन की भागीदारी है. सभी भारतवासियों ने हर घर तिरंगा फहराया. इसमें सम्पूर्ण देश की सहभागिता रही.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश को आजादी अचानक नहीं मिली. इसके लिए अहर्निश प्रयास करना पड़ा, अनगिनत बलिदान देने पड़े. भारत उन चंद देशों में से एक है जिसने कभी पराजय को स्वीकार नहीं किया बल्कि निरंतर लड़ता रहा. पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह जैसे महापुरुष लगातार देश के सम्मान और स्वाभिमान के लिए लड़ते रहे. उस दौर में देश एकजुट होकर लड़ा होता तो मुगलों के छक्के उसी कालखंड में छुड़ा दिए गए होते और उसके बाद पराधीनता नहीं मिलती.

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‘1857 के बाद बुझने नहीं पाई क्रांति की ज्वाला’

सीएम योगी ने कहा कि 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर में देश एकजुट होकर लड़ा था. बैरकपुर में मंगल पांडेय, गोरखपुर में बंधु सिंह, मेरठ में धनसिंह कोतवाल, झांसी में रानी लक्ष्मीबाई, बिठूर में तात्या टोपे ने आजादी की लड़ाई की मशाल जलाई. देश का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं था जहां लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हुंकार न भरी हो. पहली बार लगा था कि भारत दासता से मुक्त हो जाएगा. तभी से क्रांति की ज्वाला बुझने नहीं पाई. 1922 में ऐतिहासिक चौरीचौरा जनाक्रोश हुआ, लखनऊ में काकोरी की घटना में कई क्रांतिकारियों को फांसी दी गई. अनगिनत बलिदान से अंततः 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया.

रिपोर्ट : कुमार प्रदीप

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