Ganga Yatra Program: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘गंगा समग्र के राष्ट्रीय कार्यकर्ता संगम’ में सम्मिलित होने के दौरान मां गंगे को स्वच्छ बनाने में किए गए कार्यों की रिपोर्ट पेश की. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सीवर या औद्योगिक कचरे से जुड़े हुए प्रवाह को रोकने के लिए जो कार्य होने थे, उनमें 46 में से 25 कार्य पूर्ण हो चुके हैं. 19 पर युद्धस्तर से कार्य चल रहा है और 2 का कार्य प्रगति पर है.
UP | We've completed 25 out of 46 projects to stop the flow of sewerage and industrial waste falling into river Ganga in the state, work is underway in the remaining 19. We're taking forward these schemes in a time bound manner: CM Yogi Adityanath in Ganga Yatra program, Lucknow pic.twitter.com/7KAXYSbOMQ
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 17, 2022
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होते हुए उन्होंने कहा, ‘आपने देखा होगा कि दशकों बाद प्रयागराज कुम्भ में अविरल व निर्मल जल पूज्य संतों व श्रद्धालुजनों को प्राप्त हुआ था. देखते-देखते करोड़ों श्रद्धालुओं ने कुम्भ में आकर पवित्र स्नान में भाग लिया था.’ उन्होंने कहा कि मां गंगा के लम्बे प्रवाह में जनपद कानपुर सबसे क्रिटिकल पॉइंट था. लगभग 100 वर्षों से सीसामऊ नाले के माध्यम से प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर सीवर का पानी गंगा में गिरता था लेकिन नमामि गंगे परियोजना के बाद कानपुर में यह सीवर पॉइंट आज सेल्फी पॉइंट बन गया है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में नमामि गंगे परियोजना का शुभारम्भ किया और गंगा को राष्ट्रीय नदी के रूप में मान्यता दी. इस महत्वपूर्ण परियोजना ने आज़ादी के बाद भारत की नदी संस्कृति को पुनर्जीवित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया. मां गंगा के लगभग 2,500 किलोमीटर के लम्बे प्रवाह में जो पांच राज्य आते हैं उनमें उत्तर प्रदेश में मां गंगा व यमुना नदी का आशीर्वाद सर्वाधिक प्राप्त होता है. उन्होंने दावा किया कि यूपी नमामि गंगे परियोजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने में सफल हुआ है.
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उन्होंने कहा, ‘हमारे अधिकतर तीर्थ गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में ही स्थित हैं. आप गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक इन सभी तीर्थों का अवलोकन करेंगे तो देखेंगे कि मां गंगा के प्रति हमारी आस्था किस रूप में रही है. महाभारत का वह दृष्टान्त भी आप सभी के सम्मुख होगा कि उस युद्ध का सबसे बड़ा व उम्रदराज योद्धा अपने नाम के सम्बोधन में ‘गंगा पुत्र’ जोड़कर स्वयं को गौरवांवित महसूस करता है. वह गंगा पुत्र कोई और नहीं, भीष्म पितामह थे.’