Gorakhpur News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लंबे अर्से बाद भारत ने वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अंगीकार किया है. इस शिक्षा नीति में पहली बार एक साथ दो डिग्री लेने की सुविधा दी गई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने से मुक्त विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों का महत्व बहुत बढ़ गया है.
सीएम योगी रविवार को उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र भवन का शिलान्यास करने के बाद योगीराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि बीते दो वर्षों में देश-दुनिया ने मुक्त विश्वविद्यालयों की महत्ता को स्वीकारा है. कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई. 2014 में ही पीएम मोदी ने अपनी दूरदृष्टि से जिस डिजिटल इंडिया की परिकल्पना की थी. वह कोरोना काल में दूरस्थ व ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कारगर साबित हुई. सीएम योगी ने कहा कि पीएम मोदी ने जब डिजिटल इंडिया की बात कही थी तब लोग हंसते थे. मगर आज इसका लाभ सर्वत्र दिख रहा है. डीबीटी के माध्यम से जब करोड़ों लोगों के बैंक खातों में सरकार की सहायता राशि पहुंचती है तो इसका लाभ समाज के अंतिम पायदान तक बैठे व्यक्ति तक पहुंचता है. डिजिटल इंडिया की नई क्रांति का अनुभव सभी लोग कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी की दूरदर्शिता की सराहना करते हुए कहा कि उनके द्वारा शुरू किए गए स्किल इंडिया मिशन से आज युवा परिवार पर बोझ नहीं बल्कि स्वावलंबन का आधार बन रहे हैं. स्किल इंडिया मिशन आज गांव-गांव तक पहुंचा है. मुक्त विश्वविद्यालय स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में बहुत कारगर हो सकता है. कौशल के जरिए ही आप समाज को कुछ देने की स्थिति में होंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ध्येय भी यही है. सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से तकनीक पक्ष पर ध्यान देने की अपील करते हुए कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय के 1200 अध्ययन केंद्र प्रयागराज स्थित इस विश्वविद्यालय से जुड़कर एक साथ कक्षाओं को आगे बढ़ा सकते हैं. उन्होंने कहा कि गोरखपुर में स्थापित हो रहे क्षेत्रीय केंद्र की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजर्षि टंडन की स्मृतियों को भी नमन किया. उन्होंने कहा कि यूएसए से उनसे मिलने आए एक कार्डियोलॉजिस्ट की चर्चा की. बताया कि वह कार्डियोलॉजिस्ट आईआईटी कानपुर से पढ़े थे. अच्छे पैकेज पर यूएसए में नौकरी करने गए थे. वहां उन्होंने नौकरी करते हुए कार्डियोलॉजी की डिग्री ली और कार्डियोलॉजिस्ट बन गए. मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से इस तरह के हुनर को अब भारत में भी मंच मिलने वाला है.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप