सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ तीन द‍िन रहेंगे गोरखपुर में, वनटांगि‍या गांव को देंगे सरकारी योजनाओं के ‘तोहफे’

वनटांगिया गांव के लोगों को विभिन्न योजनाओं का लाभ और प्रमाण पत्र देकर उन्हें दीपावली गिफ्ट देंगे. उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंच से लोगों को संबोधित करेंगे इस कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री गोरखनाथ मंदिर पहुंचेंगे जहां उनका समय आरक्षित रहेगा. प्रशासन ने कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर ली गई है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 24, 2022 8:20 AM
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Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने तीन दिवसीय दौरे पर आज सोमवार को गोरखपुर आएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दीपावली के अवसर पर वनटांगिया गांव के लोगों के साथ दीपावली मनाएंगे और गोरखपुरवासियों को 80 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का तोहफा दीपावली पर देंगे. मुख्यमंत्री सुबह लगभग 10:50 बजे गोरखपुर के वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर 3 पहुंचेंगे. वहां मुख्यमंत्री कई अलग-अलग विभागों द्वारा लगाए गए स्टालों का निरीक्षण करेंगे. उसके बाद वनटांगिया गांव के लोगों को विभिन्न योजनाओं का लाभ और प्रमाण पत्र देकर उन्हें दीपावली गिफ्ट देंगे. उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंच से लोगों को संबोधित करेंगे इस कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री गोरखनाथ मंदिर पहुंचेंगे जहां उनका समय आरक्षित रहेगा. वनटांगिया गांव में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर प्रशासन द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है.

कभी उपेक्षितों में थे शुमार

सौ साल तक उपेक्षितों में शुमार रहे वनटांगिया वनवासी अब मुख्यमंत्री संग दीवाली मनाते हैं. गत वर्षों की भांति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दीपपर्व पर एक बार फिर सोमवार को वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में वनवासियों के साथ त्योहार का उल्लास साझा करेंगे. खास बात यह भी है कि इस बार दिवाली के इस कार्यक्रम में गोरखपुर जिले के मुसहर परिवारों को भी बुलाया गया है. सीएम योगी यहां पूर्वाह्न करीब 11 बजे पहुंचेंगे. इस दौरान वह जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों के लिए करीब 80 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात देंगे. सीएम की तरफ से वनटांगिया परिवारों में भी उपहार का वितरण किया जाएगा. सीएम के कार्यक्रम में अन्य वनग्रामों के निवासी भी सम्मिलित होंगे. बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वनटांगिया लोगों के बीच छठवीं बार दिवाली मनाने पहुंचेंगे जबकि सांसद रहते हुए उन्होंने यह सिलसिला 2009 में शुरू किया था.

80 करोड़ रुपये का दिवाली गिफ्ट देंगे सीएम योगी

24 अक्टूबर को वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में दीपपर्व मनाने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिले की कई ग्राम पंचायतों को 80 करोड़ रुपये का दिवाली गिफ्ट भी देंगे. मुख्यमंत्री 34.55 करोड़ रुपये की लागत से 95 ग्राम पंचायतों के लिए ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन कार्यो तथा 2.48 करोड़ रुपये की लागत से 62 ग्राम पंचायतों के लिए कामन सर्विस सेंटर की स्थापना कार्य का शिलान्यास करेंगे. ये कार्य पंचायत राज्य विभाग की तरफ से कराए जाएंगे. इसके साथ ही वह 24 ग्राम पंचायतों में परफॉर्मेंस ग्रांट से कराए गए करीब 21.10 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का लोकार्पण करेंगे. मुख्यमंत्री द्वारा ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की तरफ से पूर्वांचल विकास निधि के तहत कराए गए 1.33 करोड़ रुपये तथा त्वरित आर्थिक विकास योजना के अंतर्गत कराए गए 20.46 करोड़ रुपये के विकास कार्यों को भी जनता को समर्पित करेंगे.

कौन हैं सौ साल तक उपेक्षित रहे वनटांगिया

अंग्रेजी शासनकाल में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई. इसकी भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार ने साखू के पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल में बसाया. साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की टांगिया विधि का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए. कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं. 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा. जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास न तो खेती के लिए जमीन थी और न ही झोपड़ी के अलावा कोई निर्माण करने की इजाजत. पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं. इनके पास ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं था जिसके आधार पर वह सबसे बड़े लोकतंत्र में अपने नागरिक होने का दावा कर पाते. समय-समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय.

इन अहिल्या के लिए राम की भूमिका में आये योगी

वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने. उनके संज्ञान में यह बात आई कि वनटांगिया बस्तियों में नक्सली अपनी गतिविधियों को रफ्तार देने की कोशिश में हैं. नक्सली गतिविधियों पर लगाम के लिए उन्होंने सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को इन बस्तियों तक पहुंचाने की ठानी. इस काम में लगाया गया उनके नेतृत्व वाली महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं एमपी कृषक इंटर कालेज व एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ और गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु श्री गुरु गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को. जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन वनटांगिया गांव में 2003 से शुरू ये प्रयास 2007 तक आते आते मूर्त रूप लेने लगे. इस गांव के रामगणेश कहते है कि महराज जी (योगी आदित्यनाथ को वनटांगिया समुदाय के लोग इसी संबोधन से बुलाते हैं) हम लोगों के लिए उस राम की भूमिका में आये जिन्होंने अहिल्या का उद्धार किया था.

जब योगी आदित्यनाथ पर हुआ मुकदमा

वनटांगिया लोगों के बीच शिक्षा की रोशनी पहुंचाने के योगी आदित्यनाथ के प्रयासों के खास सहयोगी एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डॉ प्रदीप रॉव बताते हैं कि वन्यग्रामों के लोगों को जीवन की मुख्यधारा में जोड़ने के दौरान 2009 में योगी जी को मुकदमा तक झेलना पड़ा. वनटांगिया बच्चों के लिए एस्बेस्टस शीट डाल एक अस्थायी स्कूल का निर्माण योगी के निर्देश पर उनके कार्यकर्ता कर रहे थे, इस पर वन विभाग ने इस कार्य को अवैध बताकर एफआईआर दर्ज कर दी. योगी ने अपने तर्कों से विभाग को निरुत्तर किया और अस्थायी स्कूल बन सका.

पांच दिवाली में मिटा दी सारी कसक

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने महज पांच दिवाली में वनटांगिया समुदाय की सौ साल की कसक मिटा दी है. लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाने वाले योगी ने सीएम बनने के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया. राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है. अपने कार्यकाल में उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित कर दिया है.

जंगल में बने रहने को गई दो वनटांगियों की जान

साखू के पेड़ों से जंगल संतृप्त हो गया तो वन विभाग ने अस्सी के दशक में वनटांगियों को जंगल से बेदखल करने की कार्रवाई शुरू कर दी. इसी सिलसिले में वन विभाग की टीम 6 जुलाई 1985 को जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में पहुंची. न कहीं और घर, न जमीन, आखिर वनटांगिया लोग जाते कहां. उन्होंने जंगल से निकलने को मना कर दिया जिस वन विभाग की तरफ से फायरिंग कर दी गई. इस घटना में परदेशी और पांचू नाम के वनटांगियों को जान गंवानी पड़ी जबकि 28 लोग घायल हो गए थे. इसके बाद भी वन विभाग सख्ती करता रहा. यह सख्ती तब शिथिल हुई जब सांसद बनने के बाद 1998 से योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों की सुध ली.

र‍िपोर्ट : कुमार प्रदीप

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