Noida News: सिंचाई विभाग ने हाल ही में सर्वेक्षण किया है. उसमें पाया गया है कि नोएडा के 90 से अधिक गांवों में नल के पानी का कनेक्शन नहीं है. ग्रामीणों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भूजल का उपयोग करना पड़ता है. अब जिला प्रशासन इस साल इन गांवों में स्टोरेज टैंक बनाने का लक्ष्य रखा है. सर्वेक्षण किए गए 90 गांवों में से 12 को अधिकारियों (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे) में बांट दिया गया जबकि 78 जिला प्रशासन के पास रहे.
पिछले दो महीनों में किए गए सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि 68 गांवों में सरकारी या सामुदायिक भूमि उपलब्ध थी. इनमें से प्रत्येक गांव में नल का पानी कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई गई है. नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत राज्य जल स्वच्छता मिशन (एसडब्ल्यूएसएम) को मंजूरी के लिए भेजी जा रही है. अधिकारियों ने बताया कि 48 गांवों की डीपीआर पहले ही भेजी जा चुकी है और इनमें से 37 को मंजूरी भी मिल चुकी है.
जिन पांच गांवों में परीक्षण चल रहा है, वे हैं नगला चमरू, चक्रसेनपुर, खंगोरा, बल्लभनगर और मिलाख करीमाबाद. इनमें से ज्यादातर गांव बिना नल के पानी के कनेक्शन दादरी ब्लॉक में हैं. इन 48 गांवों के लिए डीपीआर तैयार किया गया है, उनमें परियोजना की कुल लागत लगभग 115 करोड़ रुपये है. सूत्रों ने कहा कि इससे लगभग 113, 000 लोगों की कुल आबादी वाले 18,000 परिवारों को फायदा होगा, जिन 30 गांवों के लिए डीपीआर तैयार किया जाना बाकी है, उनमें लगभग 70,000 की आबादी वाले 12,000 घर शामिल हैं.
केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के अनुसार, गौतमबुद्धनगर राज्य के सबसे ‘जल-तनावग्रस्त’ जिलों में से एक है. 2021 में उत्तर प्रदेश में पानी की स्थिति पर विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की एक रिपोर्ट में भी जिले का अत्यधिक दोहन होने का उल्लेख है. पिछले पांच वर्षों में, नोएडा में औसत प्री-मानसून भूजल स्तर 2016 में 9.95 मीटर से बढ़कर 2020 में 25.28 मीटर हो गया. यानी यह 154 प्रतिशत का बदलाव है. ग्रेटर नोएडा के लिए इसी अवधि के दौरान औसत भूजल स्तर 6.66 मीटर से गिरकर 12.75 मीटर हो गया. यानी 91.41 फीसदी का परिवर्तन दर्ज किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि जिले में तेजी से गिर रहे भूजल स्तर को रोकने की दिशा में नल के पानी का कनेक्शन होना एक कदम है.