Deshaj Fest 2023: लखनऊ में ‘देशज’ के मंच पर भारतीय संस्कृतियों का संगम देखें Video

Deshaj Fest 2023: राजधानी लखनऊ में चल रहे दो दिवसीय लोक सांस्कृतिक उत्सव ' देशज ' में दूसरे दिन रविवार को प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने जब गीत मोरे राम अवध घर आए, आगे आगे राम चले पीछे चले सेना गाया तो दर्शक दीर्धा में बैठे लोग नाचने लगे. Video

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2023 5:05 PM

Deshaj Fest 2023: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चल रहे दो दिवसीय लोक सांस्कृतिक उत्सव ‘ देशज ‘ में दूसरे दिन रविवार को प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने जब गीत मोरे राम अवध घर आए. आगे आगे राम चले पीछे चले सेना. गाया तो दर्शक दीर्धा में बैठे लोग नाचने लगे. वातारण श्रीराम और हनुमान जी भक्ति से सराबोर हो गया. मानो सच में प्रभु घर आए हो और अयोध्या में खुशी छा गई हो. लोक सांस्कृतिक संस्था सोन चिरैया की ओर से गोमती नगर के लोहिया पार्क में आयोजित उत्सव में उ.प्र . पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी, लोकनिर्मला सम्मान से विभूषित मंजम्मा जोगती सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे. लोहिया पार्क के खुले मंच पर आयोजित उत्सव में हजारों की संख्या में लोग आए थे. लोग खड़े होकर भी उत्सव को देख रहे थे. उत्सव के दूसरे व अंतिम दिन रविवार को लोक गायिका मालिनी ने अपनी प्रिय प्रस्तुति जिसमें उन्होंने श्रीराम के जन्म से लेकर रावध वध के दृश्यों को अपनी श्रीराम चरित मानस की चौपाइयों व गीतों के जरिए बड़ी खूबसूरती से अभिनय के साथ प्रस्तुत किया.’ रघुबीरा ‘ में सिया – राम के विवाह के प्रसंग में गायिका ने दर्शक दीर्घा में बैठे अपने पति अवनीश जी के गले में वरमाला पहना दी , जिसका लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया. इससे पहले , कार्यक्रम की शुरुआत अवध का लोक नृत्य ढेढिया से हुई. इसमें नृत्यागंनाएं सिर पर छेददार कलश रखकर और उस पर दीया जलाकर नृत्य कर रहीं है. नृत्यांगनाएं अपनी चटक रंगों में परम्परागत पहनावा लहंगा चोली व सिर पर चुनरी ओढ़कर नृत्य किया. इनके साथ आई प्रशिक्षिका बीना सिंह ने बताया कि भगवान राम जब लंका विजय के बाद वापस आए थे , तब गंगा के तट पर बसे श्रृंगवेरपुर के वासी उनकी बाट जो रहे थे , जब प्रभु आए तो महिलाओं ने छेददार कलश सिर पर रखकर उसमें दीप जलाकर नृत्य किया था, इसी को ही ढेढिया नृत्य कहते हैं. वहीं पंश्चिमी बंगाल से आए लोक कलाकारों ने उत्सव में छऊ नृत्य पेश किया. इसमें कलाकार विशेष रूप से बनाया हुआ बड़ा सा मुखौटा पहन कर रामायण के प्रसंगों को नृत्य में दिखाया. पहले दिन जहां सीता स्वयंवर के प्रसंग को दिखाया वहीं दूसरे दिन रावण वध ‘ को दर्शाया. इसके अलावा अवध में गाए जाने वाले आल्हा की प्रस्तुति हुई . दल का नेतृत्व जितेंद्र चौरसिया ने किया. इसके अलावा मणिपुर का थांगटा , पुगचोलम , हरियाणा का धमाल सहित अन्य शानदार प्रस्तुत हुई जिसका दर्शकों भरपूर आनंद लिया. Video

Next Article

Exit mobile version